सरसों और चना का जिले में बंपर उत्पादन, पर तीन माह में खरीदी पर एक भी किसान नहीं पहुंचा मंडी

सरसों और चना का जिले में बंपर उत्पादन, पर तीन माह में खरीदी पर एक भी किसान नहीं पहुंचा मंडी
भास्कर संवाददाता| डूंगरपुर तीन महीने में जिले में सरसों और चना की समर्थन मूल्य पर खरीदी पूरी तरह बंद है। डूंगरपुर, सागवाड़ा और आसपुर मंडी में दो महीने से कोई किसान नहीं पहुंचा। किसी ने पंजीयन भी नहीं कराया। सरकारी रिकॉर्ड में खरीदी और पंजीयन दोनों शून्य हैं। इससे साफ है कि किसानों की रुचि समर्थन मूल्य पर फसल बेचने में नहीं रही। सरकार ने सरसों और चना की खरीदी 10 अप्रैल से शुरू की थी। इसके लिए डूंगरपुर, सागवाड़ा और आसपुर में तीन केंद्र बनाए गए। सरसों का समर्थन मूल्य 5950 रुपए और चने का 5650 रुपए तय किया। यह बाजार भाव से लगभग समान रहा है। फिर भी किसान मंडी नहीं पहुंचे। कई जगह गिरदावरी सिर्फ कागजों में हुई। इससे किसान समर्थन मूल्य का लाभ नहीं ले पाए। रबी फसल की खरीदी के लिए 1 अप्रैल से पंजीकरण शुरू हुआ। खरीदी 10 अप्रैल से शुरू हुई। सरकार ने इस बार बायोमेट्रिक अधिप्रमाणन की व्यवस्था की। हर किसान को 25 क्विंटल तक अनाज बेचने की अनुमति दी गई। इसके बावजूद अब तक एक भी किसान ने पंजीयन नहीं कराया। अब तक की गिरदावरी के अनुसार सरसों 191 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। सत्र 2024-25 में चना 11 हजार 933 हैक्टेयर में बोया गया। इससे 15 हजार 909 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। विभाग ने सरसों का लक्ष्य 800 हैक्टेयर और चने का 17 हजार 500 हैक्टेयर रखा है। इस बार चने की पैदावार ज्यादा हुई। जिले में 18 हजार हैक्टेयर में चना बोया गया। इससे अनुमानित 23 हजार 400 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। वहीं सरसों की बुवाई 110 हैक्टेयर में हुई। जहां पैदावार है वहां पर मंडी नहीं : जिले में सरसों और चना की समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्र के बावजूद किसान मंडी नहीं पहुंचे। इसका बड़ा कारण यह है कि जहां पैदावार है वहां पर मंडी नहीं है। ऐसे में किसान खुले बाजार में फसल बेच रहे हैं। व्यापारी फसल की गुणवत्ता के अनुसार ज्यादा भाव दे रहे हैं। इससे किसान मंडी की बजाय बाजार का रुख कर रहे हैं। जिले में दस ब्लॉक में सरसों और चना के लिए केवल तीन केंद्र हैं। इससे किसानों को मंडी तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। परिवहन खर्च भी बढ़ रहा है। खरीफ की फसल सोयाबीन के लिए जिले को दो सेंटर मिले थे। वहां समर्थन मूल्य बाजार भाव से अधिक था। इसलिए मंडी में 27 हजार क्विंटल की बंपर खरीदी हुई। पर रबी फसलों में ऐसा नहीं हो सका। सरसों और चना जैसी प्रमुख फसलें किसान को सस्ते दाम पर बेचनी पड़ रही हैं। इससे उसकी माली हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा। दो महीने में भी अब तक मंडी में एक भी किसान फसल बेचने नहीं आया। मंडियों में सन्नाटा पसरा है। ^डूंगरपुर जिले में एक भी किसान का पंजीयन नहीं हुआ है। बाजार भाव और सरकारी भाव लगभग समान है। फिर भी एक भी किसान खरीदी के लिए मंडी तक नहीं पहुंचे है। विभाग से सब तरह के प्रयास किए। पर, किसानों का रूझान नहीं है। - विष्णुनारायण सिंह राठौड़, राजफेड विभाग