सरकारी-मेडिकल कॉलेज से पीजी, लेकिन सरकारी नौकरी से परहेज:सरकार ने हाईकोर्ट में कहा- एक डॉक्टर पर सवा करोड़ खर्च, एकलपीठ ने दखल से किया इनकार

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पीजी करने के बाद दो साल की एसआर शिप (सरकारी नौकरी) नहीं करने के मामले में हाईकोर्ट की एकलपीठ ने दखल देने से इनकार कर दिया हैं। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने सरकार की रिव्यू एप्लीकेशन को खारिज करते हुए कहा कि बदली हुई परिस्थितियों में प्रथमदृष्ट्या सरकार की प्रार्थना उचित प्रतीत होती हैं और उस पर विचार किया जाना चाहिए। लेकिन मामला डिवीजन बैंच में विचाराधीन है। ऐसे में सिंगल बैंच इस मामले में कोई निर्णय नहीं दे सकती हैं। दरअसल, राज्य सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेज से पीजी करने वाले डॉक्टर्स द्वारा एसआर शिप नहीं करने पर हाईकोर्ट में इन डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिव्यू-रिकॉल एप्लीकेशन लगाई थी। वहीं डॉक्टर्स का कहना था कि कोर्स कंप्लीट होने के बाद सरकार ने नियुक्ति देने में देरी की। ऐसे में बॉड और उसकी शर्ते समाप्त हो गई। एक डॉक्टर पर सवा करोड़ खर्चे होते है
सरकार की ओर से अधिवक्ता अर्चित बोहरा ने दलील देते हुए कहा कि मेडिकल पीजी के तीन साल के कोर्स में एक डॉक्टर पर सरकार करीब 1.24 करोड़ रुपए खर्च करती हैं। बदले में सरकार इनसे चाहती है कि कोर्स समाप्त होने के बाद यह दो साल के लिए सरकारी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे। इसके लिए एडमिश्न के समय डॉक्टर्स और सरकार के बीच बॉड भी साइन होता है। जिसमें साफ-साफ लिखा होता है कि कोर्स पूरा होने के बाद पीजी करने वाले डॉक्टर्स एसआर शिप जॉइन करेंगे। अन्यथा 10 लाख रुपए जमा कराएंगे। लेकिन इस साल पास होने वाले डॉक्टर्स में से आधे से ज्यादा ने ना तो सर्विस जॉइन की और ना ही बॉड की राशि जमा करवाई। कोर्स पूरा होते ही डॉक्टर्स ने डॉक्यूमेंट्स वापस लिए
दरअसल, नीटी पीजी-2021 से सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिश्न लेने वाले डॉक्टर्स का बैच जनवरी 2025 में पास आउट हो गया। फाइनल एग्जाम होने के साथ ही डॉक्टर्स ने अपने मूल दस्तावेज लेने के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं लगाना शुरू किया। हाईकोर्ट ने इस शर्त पर कि डॉक्टर सरकार द्वारा नियुक्ति देने पर एसआर शिप जॉइन करेंगे अन्यथा 10 लाख जमा करवाएंगे, उनके डॉक्यूमेंट्स वापस देने के सरकार को निर्देश दिए। लेकिन जब सरकार ने 1 अप्रेल को एसआर शिप के लिए काउंसलिंग शुरू की तो कोर्ट के आदेश से डॉक्यूमेंट्स लेने वाले आधे से ज्यादा डॉक्टर्स ने ना तो एसआर शिप जॉइन की और ना ही बॉड के तहत 10 लाख रुपए जमा करवाए। इस साल सरकारी मेडिकल कॉलेज से पास होने वाले डॉक्टर्स-1363
सर्विस सीट- 508 (ऐसे में डॉक्टर जो पहले से सरकार में जॉब कर रहे हैं।)
नॉन सर्विस सीट- 855 (इन डॉक्टर्स ने एडमिश्न के समय बॉड भरा था)
एसआर शिप जॉइन की- 476
एसआर शिप जॉइन नहीं की- 380 करीब 456 डॉक्टर्स ने डॉक्यूमेट्स लेने के लिए याचिका लगाई
इनमे से केवल 105 डॉक्टर्स ने जॉइन किया
351 डॉक्टर्स ने एसआर शिप जॉइन नहीं की।