मुनि ने राम कथा का सार, सुनने का फल व उसका जीवन में प्रभाव बताया

मुनि ने राम कथा का सार, सुनने का फल व उसका जीवन में प्रभाव बताया
दुर्गापुरा के दिगंबर जैन मंदिर चन्द्र प्रभजी में आयोजित दस दिवसीय जैन रामायण कथा का मंगलवार को विश्राम हो गया। कथा के आखिरी दिन मुनि जय कीर्ति महाराज ने कहा कि यह जैन राम कथा अमंगल का मंगल करने वाली है। इसको सुनने से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि की वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि राम के मांगी तुंगी से मोक्ष जाने का चिरपरिचित शैली में चित्रण किया। कथा के आखिरी दिन मंत्री कन्हैयालाल चौधरी, सहकारिता मंत्री गौतम दक, सांसद मंजू शर्मा सहित कई गणमान्य लोग मुनिश्री का आशीर्वाद लेने पहुंचे। भगवान चन्द्र प्रभू के चित्र का अनावरण एवं दीप प्रज्ज्वलन समाजसेवी सुनील-माया संगही परिवार ने किया। ब्रह्मचारिणी पल्लवी दीदी द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। राजा श्रैणिक के रूप में अशोक जैन-अल्का गोधा परिवार गाजे-बाजे के साथ पहुंचा और मुनिश्री को जिनवाणी भेंट की। राजा श्रैणिक के प्रश्न पर मुनिश्री ने कथा वाचन शुरू किया। मुनिश्री ने राम व सीताजी के मोक्ष के बारे में बताते हुए कहा कि सीताजी ने 62 वर्ष तक तप व 33 दिन की संल्लेखना करके स्वर्ग में प्रतीन्द्र बनी। इसके बाद लव-कुश का विवाह हुआ। हनुमानजी ने दीक्षा लेकर सिद्ध पाद प्राप्त किया। वहीं, भगवान राम 6 महीने तक विलाप करते है ओर गुरु उपदेश सुनकर राम दीक्षा लेकर मुनि बन जाते है और राम को मांगीतुंगी से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही रामायण की कथा का समापन होता है। आज धर्म सभा में मुनि देंगे मंगल प्रवचन गोविंद देवजी मंदिर से प्रतिनिधि के रूप में धर्म प्रचारक पं. विजय शंकर पाण्डे भी मुनिश्री से मिलने पहुंचे और गोविंददेवजी का चित्र भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया। शाम को भव्य संगीतमय आरती एवं गुरु भक्ति के आयोजन हुए। भगवान पदमप्रभु चालीसा का पाठ किया गया। दिगंबर जैन मंदिर चन्द्र प्रभजी ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रकाश चांदवाड एवं मंत्री राजेन्द्र काला ने बताया कि बुधवार सुबह 8:30 बजे धर्म सभा आयोजित की जाएगी, जिसमें मुनि जय कीर्ति के मंगल प्रवचन होंगे। समाज श्रेष्ठियों ने मुनि जय कीर्ति मुनिराज को ‘धर्म चक्रवर्ती पद’ की उपाधि प्रदान की है। ब्रह्मचारिणी पल्लवी दीदी को प्रशस्ति के माध्यम से ‘श्रुत ज्ञान संवर्धिका’ पद प्रदान किया गया। मुनि जय कीर्ति महाराज के पाद पक्षालन का सौभाग्य समाजश्रेष्ठी जीसी जैन व विशल्या देवी को प्राप्त हुआ।