मास्टर प्लान से शहर का विकास करें, लेकिन संपत्ति ध्वस्त करने से पहले मौका दें : हाईकोर्ट

मास्टर प्लान से शहर का विकास करें, लेकिन संपत्ति ध्वस्त करने से पहले मौका दें : हाईकोर्ट
लीगल रिपोर्टर|जयपुर हाईकोर्ट ने कोटपूतली में सड़क चौड़ाई से जुड़े मामले में कहा है कि मास्टर प्लान शहर के विकास को योजनाबद्ध तरीके से विकसित करने वाला दस्तावेज है। जिसे प्राधिकरण की मर्जी या किसी के हित में संशोधित नहीं कर सकते, इसे व्यापक जनहित में लागू करते हैं। इसलिए मास्टर प्लान से शहर के विकास और सौंदर्यीकरण को बिना किसी रुकावट के आगे बढाना चाहिए, लेकिन इसके प्रभावितों को भी सुनवाई का मौका देना चाहिए। वहीं अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि वह 15 दिन में एक कमेटी बनाए। यह कमेटी प्रभावितों के संपत्ति पर मालिकाना अधिकार के संबंध में पेश अभ्यावेदन का निस्तारण करें। यदि किसी के पास संपत्ति के वैध दस्तावेज हैं, लेकिन सड़क चौडी करने के लिए उसे लेना जरूरी है तो डीएलसी रेट पर उसे भुगतान किया जाए। उसे पात्रता के अनुसार भूमि आवंटित कर सकते हैं। यदि सड़क निर्माण के दौरान पेड़-पौधों को हटाने की जरूरत है तो उनकी गणना कर समीप के सार्वजनिक जगह पर उससे 10 गुणा पेड़ लगाए जाएं। जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने यह निर्देश इस संबंध में दायर 12 दर्जन याचिकाओं पर दिया। मामले से जुड़े अधिवक्ता आशीष शर्मा व लिपि गर्ग ने बताया कि प्रार्थियों के पास भूमि का पंजीकृत विक्रय पत्र है। जबकि कुछ प्रार्थियों के पास खेतड़ी रियासत का जारी किया पट्टा है। वे खुद की संपत्तियों पर नियमानुसार काबिज हैं। शहर के मास्टर प्लान में यहां सड़क की चौड़ाई 60 फीट से भी कम है, लेकिन फिर भी 80-100 फीट चौड़ी सड़क के लिए उनके निर्माण व कब्जे हटाए जा रहे हैं। जबकि पहले भी हाईकोर्ट के आदेश के पालन में उन्होंने अपनी आपत्तियां दी थी। लेकिन उनके दस्तावेजों पर विचार कर उनका निस्तारण नहीं किया और तोड़-फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी है, इसे रोका जाए।