मद्रास HC बोला- समलैंगिक जोड़े फैमिली बना सकते हैं:शादी परिवार बनाने का एकमात्र तरीका नहीं; महिला को पार्टनर के साथ रहने की परमिशन

मद्रास HC बोला- समलैंगिक जोड़े फैमिली बना सकते हैं:शादी परिवार बनाने का एकमात्र तरीका नहीं; महिला को पार्टनर के साथ रहने की परमिशन
मद्रास हाईकोर्ट ने दो महिलाओं को परिवार की तरह साथ रहने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि, शादी परिवार बनाने का एकमात्र तरीका नहीं है, समलैंगिक जोड़े फैमिली बना सकते हैं। जस्टिस जी आर स्वामीनाथन और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की बेंच एक महिला की रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। महिला का कहना था कि उसकी पार्टनर को परिवार वालों ने जबरन घर में कैद कर दिया है और उससे मिलने नहीं दिया जा रहा। कोर्ट ने कहा- ऐसा लगता है कि महिला को जबरन उसके घर ले जाया गया और पीटा गया। उसने हमें बताया कि उसके परिवार के सदस्यों ने कुछ खास रस्में करने के लिए मजबूर किया ताकि वह 'सामान्य' हो जाए। जनवरी 2025 में 13 पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की गईं थीं 17 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को कानूनी मान्यता देने से मना कर दिया था। 5 जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव नहीं कर सकता। कोर्ट सिर्फ कानून की व्याख्या कर उसे लागू करा सकता है। पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों में बदलाव की जरूरत है या नहीं, यह तय करना संसद का काम है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ इस साल 13 पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल की गईं थीं। कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि रिकॉर्ड में कोई खामी नहीं दिखाई देती और फैसले में व्यक्त किए गए विचार कानून के अनुसार हैं और इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप उचित नहीं है। 2023 के फैसले में क्या था 2023 में पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की संविधान पीठ ने इस मामले की सुनवाई की थी। जस्टिस हिमा कोहली को छोड़कर फैसला चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस कौल, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा ने बारी-बारी से फैसला सुनाया था। CJI ने सबसे पहले कहा था कि इस मामले में 4 जजमेंट हैं। एक जजमेंट मेरी तरफ से है, एक जस्टिस कौल, एक जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा की तरफ से है। इसमें से एक डिग्री सहमति की है और एक डिग्री असहमति की है कि हमें किस हद तक जाना होगा।