भगवान जगन्नाथ का स्नान यात्रा महोत्सव:भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ हुआ महास्नान, 27 जून को देश भर में निकलेगी रथयात्रा

भगवान जगन्नाथ का स्नान यात्रा महोत्सव:भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ हुआ महास्नान, 27 जून को देश भर में निकलेगी रथयात्रा
आज यानी कि 11 जून को स्नान पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ श्री मंदिर में भक्तों के सामने स्नान करते हैं। उड़ीसा की पुरी में पूरे साल में सिर्फ इसी दिन भगवान जगन्नाथ को मंदिर में ही बने सोने के कुंए के पानी से नहलाया जाता है, इसलिए इसे स्नान पूर्णिमा कहते हैं। वहीं, अहमदाबाद में साबरमती नदी के जल से भगवान को स्नान कराया जाता है। भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 27 जून को निकलेगी। महास्नान के बाद बीमार हो जाते हैं भगवान स्नान के लिए सोने के 108 घड़ों में पानी भरा जाता है, उनमें कस्तूरी, केसर, चंदन और कई तरह की औषधियां मिलाई जाती हैं। स्नान मंडप में तीन बड़ी चौकियों पर भगवानों को विराजित किया जाता है। भगवान पर कई तरह के सूती कपड़े लपेटते हैं, ताकि उनकी काष्ठ काया पानी से बची रहे। फिर भगवान जगन्नाथ को 35, बलभद्र जी को 33, सुभद्राजी को 22 घड़ों के पानी से नहलाया जाता है। इस महा-स्नान के बाद भगवान अस्वस्थ हो जाते हैं। बीमार होने पर भगवान को रखा जाता है एकांतवास में अत्यधिक स्नान के बाद भगवान को ज्वर आ जाता है और वे "अनवसर" या एकांतवास में चले जाते हैं। पंद्रह दिनों तक मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान केवल वैद्य रूपी कुछ सेवक भगवान की सेवा करते हैं। भगवान जगन्नाथ को आरामदायक श्वेत सूती वस्त्र पहनाए जाते हैं, आभूषण हटा दिए जाते हैं और आहार में केवल फल, जूस व तरल पदार्थ दिए जाते हैं। पांचवें दिन उड़िया मठ से विशेष फुलेरी तेल आता है, जिससे हल्की मालिश की जाती है। भगवान पर रक्त चंदन व कस्तूरी का लेप भी किया जाता है। दशमूलारिष्ट नामक औषधीय काढ़े में नीम, हल्दी, हरड़, बहेड़ा, लौंग आदि जड़ी-बूटियों को मिलाकर मोदक बनाकर भगवान को अर्पित किए जाते हैं। यह आयुर्वेदिक उपचार भगवान को पूर्ण स्वस्थ करता है, जिससे वे रथयात्रा के लिए पुनः तैयार हो जाते हैं। मान्यता: सोने की ईंट वाला कुआं, इसमें सभी तीर्थों का जल होता है यह 4-5 फीट चौड़ा वर्गाकार कुआं है। ये जगन्नाथ मंदिर प्रांगण में ही देवी शीतला और उनके वाहन सिंह की मूर्ति के ठीक बीच में बना है। इसमें नीचे की तरफ दीवारों पर पांड्य राजा इंद्रद्युम्न ने सोने की ईंटें लगवाईं थीं। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इस इस कुएं में कई तीर्थों का जल है। सीमेंट-लोहे से बना इसका ढक्कन करीब डेढ़ से दो टन वजनी है, जिसे 12 से 15 सेवक मिलकर हटाते हैं। जब भी कुआं खोलते हैं, इसमें स्वर्ण ईंटें नजर आ जाती हैं। ढक्कन में एक छेद है, जिससे श्रद्धालु सोने की वस्तुएं इसमें डाल देते हैं। 15 दिनों की अनवसर पूजा: 11 से 25 जून तक बीमार रहेंगे भगवान जगन्नाथ परंपरा के मुताबिक देवस्नान के बाद भगवान जगन्नाथ को बुखार आ जाता है, इसलिए वो 11 से 25 जून तक किसी को दर्शन नहीं देंगे। बीमार होने पर पर भगवान को मुख्य सिंहासन पर न बैठाकर मंदिर में ही बांस की लकड़ी से बने कक्ष में रखा जाएगा। 15 दिनों तक 56 भोग की जगह औषधियों से युक्त सामग्री, दूध, शहद आदि चीजों का भोग लगता है। इसे ही भगवान की अनवसर पूजा कहा जाता है। ये खबरें भी पढ़ें... काशी में भक्तों के प्रेम में भीगकर भगवान होंगे बीमार,14 दिनों तक काढ़े का करेंगे सेवन काशी में आज ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर भगवान जगन्नाथ का 84 घाटों के गंगा जल से अभिषेक किया गया। गर्मी से परेशान भक्त हर साल गंगा जल से भगवान को स्नान कराते हैं। स्नान के कारण अगले दिन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा बीमार हो जाती हैं। पूरे 15 दिन वो भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं। पूरी खबर पढ़ें... भगवान जगन्नाथ की प्राकट्य उत्सव स्नान यात्रा आज शाम 6 बजे से, भक्त भगवान को 1008 भोग लगाएंगे लुधियाना सिविल लाइंस स्थित इस्कॉन मंदिर की ओर से भगवान जगन्नाथ का प्राकट्य उत्सव स्नान यात्रा 11 जून यानि आज बड़े हर्षोल्लास के साथ आयोजित होगी। यह कार्यक्रम शाम 6 बजे से भगवान जगन्नाथ मंदिर में शुरू होगा। भगवान जगन्नाथ का विशेष रूप धारण करने के पीछे कलियुग के पतित जीवों का कल्याण करने का उद्देश्य है। पूरी खबर पढ़ें...