बीमारी से लड़कर हासिल किए 95.17% अंक:ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने डेढ़ महीने तक दिया बेड रेस्ट, टीचर ने किया मोटिवेट

बीमारी से लड़कर हासिल किए 95.17% अंक:ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने डेढ़ महीने तक दिया बेड रेस्ट, टीचर ने किया मोटिवेट
कहते हैं कि अगर लक्ष्य व परिस्थिति के हिसाब से मेहनत की जाए तो हर राह आसान हो जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। दसवीं बोर्ड परीक्षा में पास हुए इन छात्रों ने जिन्होंने अपने घर पारिवारिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद भी हार नहीं मानी। कड़े संघर्षों के बाद सरकारी स्कूल में पढ़कर मुस्कान वर्मा ने 95% अंक हासिल किए और ऋषि मोरवाल ने 96% अंक हासिल किए। कोटा के खेड़ारामपुर की रहने वाली मुस्कान वर्मा के लिए 10 वीं का एग्जाम चैलेंज से कम नहीं था। एग्जाम से पहले मुस्कान के सीने में गांठ हो गई थीं। उसका ऑपरेशन हुआ था। डॉक्टर ने डेढ़ महीने बेड रेस्ट को कहा था। मुस्कान ने घर पर ही रहकर पढ़ाई की। उसने मोबाइल के जरिए गांव में कोचिंग की क्लास अटेंड की। मुश्किल हालात में पढ़ाई करते हुए दसवीं में 95.17% अंक हासिल किए। मुस्कान ने तीन बहिनों में सबसे बड़ी है। पिता हेमंत गांव में टायर बनाने की पंचर की दुकान लगाते है। मुस्कान गांव की राजकीय गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई करती है। वो रोज सुबह 10 से दोपहर 4 बजे तक स्कूल में रहती। फिर स्कूल के बाद शाम 6 बजे तक गांव में कोचिंग में पढ़ाई करती। 20 जनवरी के बाद से स्कूल जाना बंद किया मुस्कान ने बताया- इसी साल जनवरी के महीने में उसके सीने में लेफ्ट साइड पर दर्द होने लगा। पिता उसे कोटा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में चेकअप करवाने आए। अस्पताल में डॉक्टर ने एक्सरे, सोनोग्राफी सहित अन्य जरूरी जांच करवाई। जांच में लेफ्ट साइड में ब्रेस्ट में साढ़े तीन सेंटीमीटर की गांठ होना पाया। डॉक्टर ने ऑपरेशन की सलाह दी। बीमारी का पता लगने और दर्द के कारण उसने 20 जनवरी के बाद से स्कूल जाना बंद कर दिया। घर और कोचिंग में पढ़ाई जारी रखी। कोचिंग के टीचर ने उसे पढ़ाई के लिए एक मोबाइल उपलब्ध करवाया। फरवरी के पहले सप्ताह में मुस्कान को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में एडमिट करवाया। जहां उसका ऑपरेशन हुआ। करीब 8 दिन तक वो हॉस्पिटल में भर्ती रही। फिर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉक्टर ने डेढ़ महीने बेड रेस्ट करने को कहा। घर पहुंचने के बाद मुस्कान पढ़ाई को लेकर नर्वस हो गई। उसे एग्जाम की टेंशन होने लगी। इस बीच कोचिंग के टीचर व परिजनों ने उसे हिम्मत बंधाई और पढ़ाई जारी रखने को कहा। हर दिन 6-7 घंटे पढ़ाई करती इस दौरान यूट्यूब से नॉलेज लेती। कोचिंग टीचर द्वारा दिए गए मोबाइल से ऑन लाइन क्लास अटेंड करती। कोचिंग के नोट्स पढ़ती। इस दौरान मुस्कान के टांके पक गए। पिता उसे हर सात दिन में ड्रेसिंग के लिए कोटा लाते। जैसे जैसे टांके ठीक हुए। उसकी तबीयत में सुधार हुआ। फिर वो कोचिंग जाने लगी। उसने पढ़ाई पर फोकस रखा और दसवीं में अच्छे अंक हासिल किए। ऋषि मोरवाल ने बताया कि दसवीं में 96 प्रतिशत अंक हासिल प्राप्त किए हैं। मेरे पिता राजेश सेन बार्बर है। हमारे घर की स्थिति बहुत कमजोर है। मेरे कोचिंग टीचर ने मुझे बहुत सपोर्ट किया हर जगह मेरा साथ दिया। मेरे पिता की इनकम भी कम है। पढ़-लिखकर अपने घर परिवार की स्थिति को सही करना है।