पाली में अघोषित सूखा, बूंद-बूंद के लिए गड्ढा खोद रहे:फिर भी गारंटी नहीं कि मटका भरेगा या नहीं, बिजली से महंगा बिक रहा पानी

पाली में अघोषित सूखा, बूंद-बूंद के लिए गड्ढा खोद रहे:फिर भी गारंटी नहीं कि मटका भरेगा या नहीं, बिजली से महंगा बिक रहा पानी
पाली जिले से 30 किमी दूर रोहट तहसील तापमान: 40 डिग्री सेल्सियस यहां का मुकनपुरा, जैतपुर और खुंटाणी गांव... यहां बिजली से महंगा पानी है...। टैंकर वाले पानी पहुंचाने के लिए किलोमीटर के हिसाब से रुपए वसूल रहे हैं। एक किलोमीटर के 100 रुपए... गांव 30 किलोमीटर दूर है तो 3 हजार और 20 किलोमीटर दूर है तो 2 हजार रुपए। सिणगारी गांव...यहां पानी के लिए महिलाओं को सुबह 3-4 बजे उठना पड़ता है। गारंटी नहीं है कि पानी मिलेगा या नहीं...। पानी नहीं मिलता है तो गड्ढा खोदकर मटमैला पानी निकालना पड़ता है गर्मी में पानी के बिगड़ते हालात का ये दर्द आज का नहीं बल्कि सालों पुराना है। यहां के 70 से ज्यादा गांवों में तीन महीने पानी की किल्लत ऐसी रहती है कि या तो गड्ढा खोदकर पानी निकालना पड़ता है। या फिर रुपए देकर टैंकर मंगवाना पड़ता है। दैनिक भास्कर ने रोहट तहसील के गांवों की स्थिति जानने की कोशिश की। इसमें से केवल 15 गांव ऐसे थे, जहां पानी की सप्लाई सुचारू है। वहीं 70 गांवों की स्थिति ऐसी है जिन्हें रोज सुबह-शाम पानी तालाब से भर कर लाना पड़ता है या खुद की जेब से रुपए खर्च कर टैंकर मंगवाना पड़ता है। दैनिक भास्कर में पढ़िए पानी के लिए संघर्ष की कहानी ग्रामीण कहते हैं- महिलाओं को एक घड़ा पानी के लिए सुबह 3 से 4 बजे उठकर लाइन लगानी पड़ती है। सरकारें आती हैं, चली जाती हैं। रह जाती है तो बस हमारी समस्या। इधर, जलदाय विभाग 4 दिन में एक बार पीने के पानी की सप्लाई देने का दावा करता है। लेकिन, धरातल पर यह व्यवस्था लड़खड़ाई हुई नजर आती है। भास्कर की टीम 7 घंटे रोहट क्षेत्र के गांवों में 60 KM घूमी और वहां पेयजल हालात का जायजा लिया। मुकनपुरा: तालाब से भरकर ला रहे पानी सुबह 9:20 बजे रोहट से रवाना होकर भास्कर की टीम 5 KM दूर मुकनपुरा गांव पहुंची। यहां मवेशियों के लिए पानी लेने महिलाएं तालाब की ओर जाती नजर आईं। कुछ महिलाएं तालाब से पानी भरकर घर की ओर जाती दिखीं। फरीबा बानो (34) कहती हैं- गांव में 300 घरों की बस्ती है। यहां इंसानों के पीने के पानी की सप्लाई नहीं है तो जानवरों के लिए पेयजल की व्यवस्था करना मुश्किल है। सार्वजनिक टंकी भी सूख चुकी है। तालाब का पानी पीने लायक नहीं है। ऐसे में नहाने-धोने के लिए तालाब से पानी भरकर लाते हैं। पीने के लिए पानी का टैंकर डलवाते हैं। 5 हजार लीटर पानी के एक टैंकर के लिए 1000-1500 रुपए चुकाने पड़ते हैं। कम से कम एक महीने में दो टैंकर चाहिए होते हैं। 55 साल के हमाना राम देवासी कहते हैं- घर-घर नल कनेक्शन के लिए पाइप लाए गए हैं। जो पिछले 6 महीने से गांव में सार्वजनिक टंकी के पास पड़े हैं। घरों में नलों से पानी नहीं आता। ऐसे में खुद की जेब से रुपए खर्च कर पानी के टैंकर मंगवाने के लिए मजबूर हैं। सिणगारी: समय: सुबह 10:10 बजे तालाब में 3 फीट गड्ढा खोदकर पानी पीने को मजबूर ग्रामीण मुकनपुरा से 2 KM दूर स्थित है सिणगारी। 400 घरों की बस्ती वाला यह गांव सूना था। पूछने पर पता चला कि पुरुष खेती और अपने काम पर गए हैं। महिलाएं और बच्चे 1 KM दूर गांव के तालाब में पानी भरने गए हैं। गांव में रोजमर्रा का काम निपटा रही राजी देवी कहती हैं- सुबह करीब तीन-चार बजे पीने का पानी भरने के लिए तालाब पर पहुंच गई थी। देर हो जाए तो तालाब पर भीड़ बढ़ती जाती है। इसलिए जल्दी चली जाती हूं। हमारे पास पानी का टैंकर मंगवाने के लिए रुपए नहीं हैं। आप तालाब पर जाएंगे तो रास्ते में एक रेलवे ब्रिज है। उसके नीचे से गुजरना पड़ता है। पुल संकरा और ऊंचाई भी कम है। ऐसे में घड़े को नीचे रखकर सरकते हुए गुजरना पड़ता है। राजी देवी से मुलाकात के बाद तालाब पर पहुंचे तो देखा आधा तालाब सूखा था। तालाब के पानी वाले हिस्से की तरफ महिलाएं लाइन लगाए खड़ी थीं। 3 फीट गहरे गड्ढे से कोई लोटे से तो कोई मग से पानी भर रही थी। 45 साल की मोहरी देवी के एक हाथ नहीं है। वह कहती हैं- एक हाथ से ज्यादा काम नहीं हो पाता। पति को लेकर यहां पानी भरने आई हूं। कम से कम पीने के पानी का दिनभर का जुगाड़ करना जरूरी होता है। तालाब में करीब 3 फीट गहरा गड्‌ढा खोद रखा है। एक घड़ा भरने में करीब 20 मिनट लगते हैं। जैतपुर: जलदाय विभाग का ऑफिस समय: 10:48 बजे टैंकर ड्राइवर बोले- 1 KM का खर्चा 100 रुपए जैतपुर गांव स्थित जलदाय विभाग के ऑफिस के बाहर भास्कर की टीम पहुंची। यहां पानी के 7-8 टैंकर खड़े नजर आए। एक टैंकर में ड्राइवर पानी भर रहा था और दूसरे ड्राइवर अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे। टैंकर चलाने वाले मनोहर सिंह कहते हैं- जैतपुर से करीब 35 KM दूर तक वे टैंकर से पानी सप्लाई करते हैं। 5 हजार लीटर पानी का टैंकर भरने पर जलदाय विभाग उनसे 133 रुपए चार्ज लेता है। आजीविका का यही साधन है। ऐसे में 1 KM आने-जाने का चार्ज 100 रुपए लेते हैं। जैसे कोई गांव 20 KM दूर है तो आने-जाने के 100 रुपए प्रति किलोमीटर के हिसाब से 2 हजार रुपए लेते हैं। यहां खड़े अन्य ड्राइवरों ने बताया कि रोजाना यहां से करीब 70-80 पानी के टैंकर लोगों के घरों तक सप्लाई होते हैं। खुंटाणी गांव: समय: 11:42 बजे हर महीने पीने के पानी की कीमत 3 हजार 600 घरों की बस्ती वाले इस गांव में सूखा है। गांव के हरिराम बताते हैं कि उन्हें पीने के पानी के लिए एक महीने में 3 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। क्योंकि जलदाय विभाग से पर्याप्त पानी की सप्लाई नहीं आ रही। अधिकतर घरों की यही स्थिति है। उन्होंने कहा कि मवेशियों के पीने के लिए पर्याप्त पानी मिले, इसके लिए अवाला (खेली) बना रखा है। लेकिन, वहां भी जलदाय विभाग की ओर से नियमित पानी की सप्लाई नहीं की जाती। भीलों की ढाणी : समय : दोपहर 11:53 बजे महिलाएं पानी के टैंकर का इंतजार करती दिखीं खुंटाणी गांव से कुछ आगे है आबाद भीलों की ढाणी। 200 घरों की बस्ती वाली इस ढाणी में अधिकतर पशुपालक हैं। गांव के सरकारी स्कूल के सामने बने टांके में जलदाय विभाग की ओर से पानी का टैंकर डाला जाता है। जहां से महिलाएं पानी मटकों में भरकर घर ले जाती हैं। लेकिन, दोपहर के साढ़े 12 बजे तक भी इन्हें पानी का टैंकर आने का इंतजार करना पड़ रहा था। वहीं मौजूद पशुपालक ग्रामीण गेपरराम (55) कहते हैं- जलदाय विभाग इस टांके में पानी डलवाता है। उसके बाद घरों तक पानी पहुंचता है। अधिकतर पशुपालन के काम से जुड़े हैं। पानी के टैंकर का इंतजार कर रही 45 साल की झुमकी देवी बताती हैं- पानी नहीं होने से कई पशु मर गए हैं। पर्सनल टैंकर मंगवाना हो तो 2 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। आर्थिक रूप से इतने मजबूत नहीं हैं कि इतना रुपया खर्च कर सकें। भीलों की ढाणी में स्थित सरकारी स्कूल में हमें बच्चे होद से पानी खींचते नजर आए। स्कूल के टीचर उन्हें ऐसा करने से नहीं रोक रहे थे। दिवांदी गांव : समय: दोपहर 12:39 बजे नहाने-धोने के लिए नदी में गड्ढा खोद ला रहे पानी यहां नदी में हमें एक महिला अपने बच्चे के साथ नजर आई। नदी में करीब 2 फीट गहरे गड्ढे से वह पानी भर रही थी। कुछ दूरी पर उसका बेटा नहा रहा था। 35 साल की टीला देवी ने कहा- जलदाय विभाग जानवर क्या, इंसानों को पीने योग्य पानी नहीं दे रहा है। नहाने-धोने के लिए नदी के पानी का सहारा है। यहां गड्‌ढा खोद रखा है। उससे पानी लेकर घर जाते हैं ताकि नहाने-धोने में इसका उपयोग कर सकें। नेहड़ा बांध नजदीक होने के कारण नदी में साफ पानी नहीं आता। रोहट मुख्यालय जलदाय विभाग समय: 2:37 मामले में रोहट जलदाय विभाग की AEN पूनम चौधरी ने कहा- हर चार दिन में पेयजल की सप्लाई की जा रही है। घर-घर नल कनेक्शन का काम 80 प्रतिशत तक हो गया है। वह पूरा होने पर पेयजल समस्या का काफी हद तक समाधान हो जाएगा। एक AEN के भरोसे 84 गांव रोहट में रहने वाले स्थानीय कांग्रेस नेता और किसान गिरधारी सिंह राजपुरोहित बताते हैं कि इन गांवों में हर साल यही स्थिति हो जाती है। गर्मी के समय में लोग परेशान होते हैं। लेकिन, जलदाय विभाग की ओर से पर्याप्त पेयजल आपूर्ति नहीं की जाती। कलेक्टर से भी कर चुके बात कांग्रेस नेता महावीर सिंह सुकरलाई ने कहा कि पेयजल की समस्या को लेकर रोहट क्षेत्र पिछले कई सालों से संवेदनशील रहा है। शहरों में 48 घंटों में पेयजल सप्लाई दी जा रही है और रोहट क्षेत्र के गांवों में 96 घंटे में एक बार पेयजल सप्लाई दी जा रही है। जबकि यहां पशुपालक ज्यादा है और पानी ज्यादा चाहिए। लेकिन, उसके बाद भी रोहट क्षेत्र में पानी की सप्लाई कम दी जा रही है। इसको लेकर जिला कलेक्टर से भी बात की थी ताकि समस्या का समाधान हो सके। BJP नेता बोले- पानी होते हुए भी हम प्यासे रोहट एरिया के बीजेपी नेता पुखराज पटेल का कहना है कि पर्याप्त पानी होने के बावजूद रोहट एरिया के ग्रामीणों को प्यासा रखा जा रहा है। क्योंकि जलदाय विभाग की पेयजल सप्लाई की व्यवस्था गड़बड़ है। पर्याप्त पेयजल की आपूर्ति नहीं होने से ग्रामीण खुद की जेब से रुपए खर्च कर पानी के टैंकर मंगवाने को मजबूर है। BJP प्रदेशाध्यक्ष बोले- समाधान को लेकर कर रहे काम मामले में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि रोहट एरिया की जल समस्या के समाधान को लेकर काम चल रहा है। जल्द ही समस्या का समाधान होगा।