तुर्किए से मार्बल आयात बंद करेगा किशनगढ़:प्रतिमाह 21 करोड़ का व्यापार रुकेगा, जून में होने वाले फेयर के बहिष्कार का लिया निर्णय

तुर्किए से मार्बल आयात बंद करेगा किशनगढ़:प्रतिमाह 21 करोड़ का व्यापार रुकेगा, जून में होने वाले फेयर के बहिष्कार का लिया निर्णय
भारत-पाक के बीच पनपे तनाव में पाकिस्तान के मददगार बने तुर्किए से अब किशनगढ़ के मार्बल आयातक भी दूरी बना रहे हैं। राजसमंद और भीलवाड़ा के बाद मार्बल की सबसे बड़ी मंडी किशनगढ़ के मार्बल आयातकों ने भी तुर्किए से आयात किए जाने वाले मार्बल के कारोबार पर रोक लगाने की पहल की है। इसके साथ ही तुर्किए में 18-21 जून को आयोजित मार्बल फेयर का बहिष्कार करने का भी ऐलान किया गया है। लघु उद्योग भारती किशनगढ़ के आग्रह पर किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन ने यह फैसले किए हैं। किशनगढ़ मार्बल पत्थर के क्षेत्र में एशिया की सबसे बड़ी मंडी है। यहां मार्बल-ग्रेनाइट के कारोबार में सैकंडों कारोबारी लिप्त है। मार्बल ग्रेनाइट का कारोबार किशनगढ़ के साथ हनुमानगढ़ मेगा हाईवे पर परबतसर तक फैला है। यहां की मार्बल मंडी में 150 से अधिक गोदामों में तुर्किए से रोजाना करीब 8 करोड़ का पत्थर आयात होता है। पूरे देश में 10 लाख मीट्रिक टन मार्बल का आयात होता है। तुर्किए से मार्बल का आयात गुजरे 7 से 8 साल में तेजी से बढ़ा है। किशनगढ़ के अलावा उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में तुर्किए का मार्बल आयात होता है। इसके अलावा थोड़ी मात्रा में मकराना, भीलवाड़ा, पाली, राजसमंद और जोधपुर भी तुर्किए का मार्बल आता है। मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर जैन का कहना है कि तुर्किए ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ सहयोग किया, जो कि भारत विरोधी गतिविधि के रूप में आता है। राष्ट्रहित के मद्देनजर लघु उद्योग भारती किशनगढ़ के आग्रह के आधार पर हमने तुर्किए से मार्बल आयात करने वाले सदस्यों से आयात पर काफी लम्बी चर्चा करने के बाद आयात बंद करने का फैसला किया है। साथ ही तुर्किए की AFYON (City) में 18 से 21 जून के बीच होने वाले मार्बल फेयर के बहिष्कार का भी फैसला किया गया है। महासचिव शशिकांत पाटोदिया कहते हैं कि तुर्किए के विकल्प के तौर पर कई ऐसे देश भी हैं, जहां से अच्छी गुणवत्ता का मार्बल आयात किया जा सकता है।