जिला परिषद ने शुरू किए शिकायतों के साथ 50 रुपए का नॉन ज्यूडिशियल स्टांप

जिला परिषद ने शुरू किए शिकायतों के साथ 50 रुपए का नॉन ज्यूडिशियल स्टांप
अलवर| पंचायती राज विभाग में आने वाली शिकायतों के साथ ₹50 का नॉन ज्यूडिशियल स्टांप होना जरूरी है। जिला परिषद ने 11 साल पहले शुरू किए इस नियम को फिर से लागू कर दिया है। यह सर्कुलर शासन सचिव पंचायती राज विभाग ने अगस्त 2014 में जारी किया गया था। इसके बावजूद बिना स्टांप के आने वाली सभी शिकायतों पर जांच कमेटी गठित कर जांच भी कराई जा रही थी। हाल ही में कोटकासिम पंचायत समिति के संबंध में हुई एक गुमनाम शिकायत पर एक ही दिन में पंचायत समिति का रिकॉर्ड जब्त कर लिया गया था। इस संबंध में दैनिक भास्कर ने 5 मई को जब खबर प्रकाशित की। साथ ही जिला परिषद को शासन सचिव के स्टांप वाले परिपत्र के संबंध में बताया। इसके बाद अब जिला परिषद की ओर से शिकायतकर्ताओं को शिकायत के साथ स्टांप भेजने के लिए पत्र जारी किए जा रहे हैं। हाल ही में लिपिक भर्ती के तहत फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र की शिकायत करने वाले शिकायतकर्ता खेमचंद सोमवंशी को पत्र भेजकर शिकायत के समर्थन में स्टांप की मांग की गई है। इसके अलावा अन्य मामलों में भी पत्र जारी किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि शासन सचिव पंचायती राज विभाग की ओर से वर्ष 2014 से लेकर 2022 तक तीन बार विभाग में आने वाली शिकायतों के साथ स्टांप होने की अनिवार्यता के लिए पत्र जारी किए गए। इसके अलावा जिला परिषद अलवर के सीईओ की ओर से भी वर्ष 2020 में इस सर्कुलर के पालन के लिए सभी अधिकारी कर्मचारियों को पाबंद किया गया। इसके बावजूद भी 11 सालों से परिपत्र की बिना पालना ही गुमनाम और बिना पहचान वाली शिकायतों की जांच जिला परिषद और पंचायत समितियां कर रही थी। सूत्रों के अनुसार जिला परिषद अलवर में करीब 300 से ज्यादा ऐसी शिकायतो की जांच अभी भी लंबित चल रही है। स्टांप संबंधी परिपत्र का मामला सामने आने के बाद अब जिला परिषद व पंचायत समितियों में वर्ष 2014 के बाद भी बिना स्टांप वाली शिकायतों पर चल रही जांचों पर संशय पैदा हो गया है।