जागरूकता कार्यक्रम में आमजन को भी बताएंगे जांच करने के टिप्स

भास्कर न्यूज | जालोर फलों व सब्जियों में होने वाला मिलावट या उन्हें ताजा बनाए रखने को कृत्रिम रंग, वैक्स कोटिंग आदि को रोकने के लिए प्रदेश में पहली बार फलों व सब्जियों की जांच होगी। इसके लिए शनिवार से विशेष अभियान शुरु किया है, जो 30 मई तक चलेगा। जिसमें खाद्य सुरक्षा टीमें मंडियों, थोक व खुदरा बाजार से फल-सब्जियों के सैंपल लेंगी और लैब में जांच के लिए भेजेंगी। जहां फल-सब्जियों में कृत्रिम रंग, वैक्स कोटिंग, स्वीटनर और अन्य रसायनों की जांच होगी। मिलावट पाए जाने पर मौके पर ही नष्ट किया जाएगा। संबंधित फर्म या मालिक पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अभियान में हर अधिकारी को रोज 3 सैंपल लेने होंगे। साथ ही हर अधिकारी को गोदामों में 15 बार ऑनस्पॉट जांच करनी होगी। शनिवार को पहले दिन प्रदेश भर में 150 से अधिक जगहों पर फल व सब्जियों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे हैं। इसी तरह 7 दिनों में करीब 1100 से अधिक सैंपलिंग होगी। जालोर खाद्य सुरक्षा अधिकारी विनोद परमार ने बताया कि फलों व सब्जियों को ताजा रखने के लिए एसीटिलीन (कैल्शियम कार्बाइड) मिलाया जाता है। एसीटलीन मिलने पर तुरंत संबंधित फर्म या मालिक पर कार्रवाई की जाएगी। क्या मिलावट होती है, और क्या खतरा है : खाद्य सुरक्षा अधिकारी परमार ने के अनुसार, फलों में मिलाए जा रहे हानिकारक रसायन जैसे डीडीटी और बीएचसी लीवर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इससे कैंसर का खतरा बना रहता है। कद्दू और लौकी जैसी सब्जियों का आकार बढ़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन हार्मोन का इंजेक्शन लगाया जाता है। इससे हड्डियां कमजोर होती हैं। केला और आम को पकाने में कार्बाइड का प्रयोग होता है। अनार और तरबूज में लाल रंग लाने के लिए केमिकल मिलाया जाता है। आम और केला में कार्बाइड मिलाने से एलर्जी और तंत्रिका तंत्र पर असर पड़ता है। सेब और नाशपाती में वैक्स कोटिंग से आंतों में छाले और कैंसर का खतरा रहता है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी विनोद परमार ने बताया कि किसानों, थोक व खुदरा विक्रेताओं को रसायनों का प्रयोग नहीं करने को लेकर जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। साथ ही आमजन को भी रसायनयुक्त फल-सब्जी की पहचान करने, उन्हें ना खरीदने और संदेह व पर मौके पर ही जांच करने के टिप्स भी बताए जाएंगे।