जहां वीडियो जांच सुविधा नहीं, वहां भेजा शाह का बयान:एमपी एफएसएल में केवल वॉइस मैच की फैसिलिटी, क्या एसआईटी को पता नहीं था?

मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह के केस में एसआईटी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश की। इसमें कहा गया कि विवादित बयान का वीडियो एमपी की फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा गया था, लेकिन तकनीकी कारणों से जांच नहीं हो पाई। इन्वेस्टिगेशन में अभी और वक्त लगेगा। इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के बाद एसआईटी को जांच के लिए वक्त दिया है। मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी। दरअसल, एसआईटी ने शाह के विवादित बयान का वीडियो जिस लैब में भेजा, वहां वीडियो फुटेज की जांच की सुविधा ही नहीं है। वहां केवल वॉयस मैच की जांच होती है। इस केस में इंटरविनर व कांग्रेस नेता जया ठाकुर के वकील वरुण ठाकुर ने इस पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या एसआईटी ने जानबूझकर केस को लटकाने के मकसद से ऐसा किया या फिर एसआईटी के अफसरों को इस बात की जानकारी ही नहीं थी? भास्कर ने जब एसआईटी चीफ प्रमोद कुमार वर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए वो कुछ नहीं कहेंगे। बता दें कि विजय शाह भी अपने बयान को लेकर तीन बार माफी मांग चुके हैं यानी वो खुद मान चुके हैं कि वीडियो में जो दिखा, वो सही है। बावजूद इसके एसआईटी वीडियो की सत्यता की जांच कर रही है। पढ़िए, रिपोर्ट... एसआईटी में 3 IPS, इनमें एक महिला अधिकारी
19 मई की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह के माफीनामे को खारिज कर दिया था। साथ ही शाह के वकील को फटकार लगाते हुए कहा था- आप लोगों के सामने पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं। आप पब्लिक फिगर हैं। आपको बोलते समय अपने शब्दों पर विचार करना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि एसआईटी में 3 IPS अधिकारी होंगे, जिनमें एक IG और बाकी दो SP लेवल के अफसर होंगे। इनमें एक अधिकारी महिला होगी। सभी अफसर मध्यप्रदेश कैडर के हो सकते हैं, लेकिन राज्य के मूल निवासी नहीं होने चाहिए। SIT को 28 मई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए थे। एसआईटी में ये अफसर शामिल एसआईटी ने वीडियो की जांच क्यों कराई
दरअसल, मंत्री विजय शाह ने 11 मई को इंदौर के महू के रायकुंडा गांव में आयोजित हलमा कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बयान दिया था। इसमें उन्होंने कहा था, 'उन्होंने कपड़े उतार-उतार कर हमारे हिंदुओं को मारा और मोदी जी ने उनकी बहन को उनकी ऐसी की तैसी करने उनके घर भेजा।' शाह ने ये टिप्पणी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर की थी। इस विवादित बयान का वीडियो भी सामने आया था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कर्नल सोफिया कुरैशी, विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश विभाग के सचिव विक्रम मिसरी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऑपरेशन और अन्य जानकारियां दे रहे थे। ये वीडियो असली है। इसके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई, इसी बात को पुख्ता करने के लिए एसआईटी वीडियो की फॉरेंसिक जांच कराना चाहती है। जिस लैब में वीडियो भेजा, वहां जांच ही नहीं होती
एसआईटी ने शाह के विवादित बयान वाला वीडियो भोपाल स्थित मध्यप्रदेश फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एमपी एफएसएल) लैब में भेजा था। लेबोरेटरी के डायरेक्टर शशिकांत शुक्ला ने बताया- ये हमारी राज्यस्तरीय लैब है। यहां केवल वॉयस मैच की सुविधा है। वीडियो फुटेज की सत्यता की जांच इस लैब में नहीं होती। जब हमारे पास एसआईटी ने जांच के लिए वीडियो भेजा तो हमने उन्हें ये वापस लौटा दिया था। उनसे पूछा कि मप्र में और कौन सी लैब में वीडियो फुटेज की जांच होती है? तो उन्होंने कहा कि एमपी में सारी एफएसएल की ही लैब है। यहां किसी भी सरकारी लैब में वीडियो फुटेज की जांच की सुविधा ही नहीं है। इंटरविनर के वकील ने जांच पर उठाए सवाल
सुप्रीम कोर्ट में विजय शाह के केस में कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने कैविएट दायर की है। जिसमें कहा गया है कि उन्हें सुने बगैर सुप्रीम कोर्ट शाह के केस में कोई फैसला न दे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा, केटीएस तुलसी भी इंटरविनर के तौर पर कोर्ट में अपीयर हुए थे। 28 मई को सुनवाई के दौरान जया ठाकुर की तरफ से एडवोकेट वरुण ठाकुर, विवेक तन्खा और बाकी लोग भी कोर्ट रूम में मौजूद थे। एडवोकेट वरुण ठाकुर ने कहा- ये मध्यप्रदेश सरकार के लिए शर्म का विषय है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एसआईटी ये कह रही है कि मध्यप्रदेश सरकार की फॉरेंसिक लैब में वीडियो जांच नहीं हो पाई। ठाकुर ने भास्कर से बात करते हुए सवाल उठाए कि क्या एसआईटी में शामिल अफसरों को इस बात की जानकारी नहीं है कि मप्र की फॉरेंसिक लैब में वीडियो की जांच होती ही नहीं है। एसआईटी ने शाह के बयान दर्ज नहीं किए
एसआईटी चीफ आईजी प्रमोद कुमार वर्मा से जब भास्कर ने संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में है, ऐसे में वे इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि 3 सदस्यीय एसआईटी ने महू के रायकुंडा गांव पहुंचकर कार्यक्रम में मौजूद कुछ लोगों के बयान लिए हैं। इसी मंच पर मौजूद केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री सिंह ठाकुर से भास्कर ने संपर्क किया तो जवाब मिला कि शाह के भाषण से पहले वे वहां से निकल चुकी थीं। उन्होंने ये जरूर कहा कि शाह के कहने का वो मतलब नहीं था, जो निकाला जा रहा है। इससे पहले महू की विधायक उषा ठाकुर भी कह चुकी हैं कि शाह की मंशा किसी का अपमान करने की नहीं थी। शाह बयान के लिए तीन बार मांग चुके माफी
एसआईटी ने जिस बयान की सत्यता की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा है, खुद शाह उस बयान के लिए तीन बार माफी मांग चुके हैं। पहली बार उन्होंने अपने बयान के लिए मीडिया के सामने माफी मांगी थी। उसके बाद खुद वीडियो जारी कर माफी मांगी। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से 5 दिन पहले उन्होंने एक बार फिर वीडियो जारी कर माफी मांगी और कहा कि ये मेरी भाषाई भूल थी। मैं हाथ जोड़कर कर्नल सोफिया कुरैशी से माफी मांगता हूं। मामले से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... कर्नल सोफिया मामला-सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को सुनवाई से रोका सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी से विवादों में घिरे मध्यप्रदेश के मंत्री विजय शाह के मामले की सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- जांच अभी शुरुआती चरण में है। हाईकोर्ट से हमारी रिक्वेस्ट है कि वो हमारे साथ-साथ सुनवाई न करे। SIT ने तय तारीख को जांच रिपोर्ट पेश कर दी। SIT ने कुछ और समय मांगा है। इस मामले की सुनवाई अब जुलाई के पहले हफ्ते में होगी। पढ़ें पूरी खबर...