'ऑपरेशन सिंदूर' के हीरो पर रखे गोडावण के नाम:'कर्नल सोफिया' और 'व्योम' के नाम से पुकारे जाएंगे गोडावण, सेना को दिया अनूठा सम्मान

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना के पराक्रम को सम्मान देने के लिए जैसलमेर के गोडावण ब्रीडिंग सेंटर ने भी अनूठी पहल की है। गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में राज्य पक्षी गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) के नवजात 5 चूजों का नाम इस सैन्य ऑपरेशन से जुड़े प्रमुख अधिकारियों और महत्वपूर्ण पड़ावों के नाम पर रखा गया है। डेजर्ट नेशनल पार्क के DFO बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि गोडावण के चूजों के नाम 'सिंदूर', 'एटम', 'मिश्री', 'व्योम' और 'सोफिया' रखा गया है। ये हमारी तरफ से सेना को एक अनूठा सम्मान है। जिसे पीढ़ियां याद रखेंगी। ये पहली बार हो रहा है जब वन्यजीव संरक्षण को राष्ट्रीय गौरव की गाथा से जोड़ा गया है और जीवों के नाम देश के सम्मान के साथ जोड़ा गया है। ऑपरेशन सिंदूर को दिया सम्मान
जैसलमेर के सुदासरी गांव में स्थित गोडावण ब्रीडिंग सेंटर में अब गोडावण के चूजों को 'सिंदूर', 'एटम', 'मिश्री', 'व्योम' और 'सोफिया' के नाम से पुकारा जाएगा। DFO बृजमोहन गुप्ता ने बताया- ब्रीडिंग सेंटर में दुनिया के सबसे लुप्त प्राय पक्षियों में से एक गोडावण के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। इस साल 2025 में अब तक कुल 21 गोडावण चूजों का जन्म हो चुका है। जिसमें 1 जून को जन्मा एक और चूजा भी शामिल है। मई महीने में कुल 7 चूजों का जन्म दर्ज किया गया। जिनमें से 5 चूजों का नामकरण सेना के सम्मान के लिए रखा गया है। 5 चूजों को मिला नाम
ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित नामकरण की शुरुआत 5 मई को पैदा हुए चूजे से हुई, जिसका नाम सीधे सैन्य अभियान के नाम 'सिंदूर' पर रखा गया। इसके बाद 9 मई को जन्मे गोडावण का नाम 'एटम' रखा गया, जो ऑपरेशन की सामरिक शक्ति को समर्पित है। 19 मई को जन्मे नवजात पक्षी का नाम 'मिश्री', साइबर-जासूसी के खिलाफ काम कर रही खुफिया टीम के उस अफसर को श्रद्धांजलि स्वरूप रखा गया, जिनका कोडनेम ‘मिश्री' था। 23 मई को जन्मे गोडावण पक्षी का नाम 'व्योम' रखा गया, जो भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह से प्रेरित है, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की आधिकारिक मीडिया ब्रीफिंग की अगुआई की थी, और 24 मई को जन्मे गोडावण का नाम 'सोफिया' रखा गया, जो भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी से प्रेरित है। राष्ट्रीय गाथा से जुड़े गोडावण
डेजर्ट नेशनल पार्क के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने बताया कि गोडावण चूजों को देशभक्तिपूर्ण नाम देकर, हम वन्यजीव संरक्षण की कहानी को राष्ट्रीय शौर्य की गाथा से जोड़ रहे हैं। ये अभियान केवल एक पक्षी के संरक्षण का नहीं है, यह उन मूल्यों को संरक्षित करने का है जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं।