ईरान का एटमी प्लांट तबाह करना आसान नहीं:जमीन से 295 फीट नीचे बनी फोर्डो लैब, केवल अमेरिकी विमान और बम से हमला मुमकिन

ईरान का एटमी प्लांट तबाह करना आसान नहीं:जमीन से 295 फीट नीचे बनी फोर्डो लैब, केवल अमेरिकी विमान और बम से हमला मुमकिन
ईरान और इजराइल के संघर्ष के बीच दुनिया की नजर ईरान के फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट पर टिक गई है। यह ईरान की एक पहाड़ी में 295 फीट, यानी लगभग 90 मीटर गहराई में मौजूद है। इसकी बनावट और रणनीतिक लोकेशन ऐसी है कि कोई भी देश इसे हवाई हमले से तबाह नही कर सकता है। फोर्डो के अड्डे तक पहुंचने के लिए पांच सुरंगों को काटकर गहराई में बंकरनुमा सुविधाएं बनाई गई हैं। इसका कंट्रोल परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के पास है।, ये नतांज के बाद ईरान का दूसरा यूरेनियम प्यूरिफिकेशन प्लांट है। इजराइल लंबे समय से इस अड्डे को खत्म करना चाहता है। इसे तबाह करने में सिर्फ अमेरिका के GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर बंकर-बस्टर बम और B-2 स्टेल्थ विमान सक्षम हैं, लेकिन यह इतना आसान नहीं है। इसे तबाह करने के लिए इन बमों को कई बार एक ही जगह पर गिराना होगा। हवाई हमलों से बचाने के लिए किया गया डिजाइन फोर्डो प्लांट क्यों तबाह करना चाहता है इजराइल सीक्रेट डॉक्युमेंट्स से फोर्डो एटमी प्लांट का खुलासा 2009 में हुआ। हालांकि, इस प्लांट की असल जानकारी 2018 में तब सामने आई जब इजराइल ने ईरान के परमाणु दस्तावेज चुरा लिए। 55 हजार दस्तावेजों में फोर्डो की योजना, ब्लूप्रिंट और उद्देश्य दर्ज थे। इनमें लिखा था कि संयंत्र में हथियार-ग्रेड यूरेनियम का निर्माण किया जाएगा और हर साल कम से कम 2 परमाणु हथियार बनाए जा सकेंगे। इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी थिंक टैंक के डेविड एलब्राइट के अनुसार, इन दस्तावेजों से साफ था कि ईरान का इरादा परमाणु हथियार बनाना था। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने भी माना कि इस प्लांट का साइज व डिजाइन शांतिपूर्ण उपयोग के अनुरूप नहीं है। यही कारण है कि इजराइल इसे तबाह करने के पीछे पड़ा है। फोर्डो फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FFEP) को शहीद अली मोहम्मदी न्यूक्लियर फैसिलिटी के नाम से भी जाना जाता है। इजराइल पर भी एटमी ​हथियार रखने के आरोप ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बना रहे इजराइल पर खुद हथियार रखने के आरोप हैं। आज उसके पास अनुमानित 90 से अधिक परमाणु हथियार हैं और डिमोना स्थित उसके अति-गोपनीय न्यूक्लियर साइट में बड़ी मात्रा में प्लूटोनियम उत्पादन की क्षमता है। इजराइल न तो संयुक्त राष्ट्र के परमाणु अप्रसार संधि का हिस्सा है और न ही किसी एजेंसी को परमाणु ठिकानों पर निरीक्षण की अनुमति देता है। नेतन्याहू के दबाव के कारण ट्रम्प जंग में शामिल हो सकते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने शुरू में इजराइल के ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर हमले की मांग को ठुकराया, कूटनीति पर जोर दिया, लेकिन इजराइली PM नेतन्याहू ने स्थिति बदली। नेतन्याहू ने व्यापक हमले की तैयारी की, जिससे ट्रम्प दबाव में आए। वह अमेरिकी सैन्य सहायता, जैसे ईंधन और बम देने पर विचार कर रहे हैं। यह बदलाव उनकी शुरुआती अनिच्छा से उलट है, क्योंकि वह ईरान को परमाणु हथियार से रोकना चाहते हैं, पर नेतन्याहू की रणनीति से प्रभावित हुए। --------------------- ये खबर भी पढ़ें... पाकिस्तान आर्मी चीफ की मांग- ट्रम्प को नोबेल पुरस्कार मिले:भारत-पाक संघर्ष खत्म कराने का क्रेडिट दिया, ट्रम्प बोले- मुझे पाकिस्तान से प्यार है पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार देने की मांग की है। उन्होंने यह पुरस्कार भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराने में ट्रम्प की अहम भूमिका के लिए मांगा। पूरी खबर पढ़ें..