2 साल बाद भी नहीं खुले ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर:प्राइवेट फिटनेस सेंटर्स हर साल राज्य सरकार को 81 करोड़ रुपए राजस्व का लगा रहे चूना

2 साल बाद भी नहीं खुले ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर:प्राइवेट फिटनेस सेंटर्स हर साल राज्य सरकार को 81 करोड़ रुपए राजस्व का लगा रहे चूना
जयपुर-जोधपुर आरटीओ ऑफिस में खुलने वाले ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर 2 साल बाद भी नहीं खुले हैं। दोनों ऑफिस में फिटनेस सेंटर खोलने के लिए कांग्रेस सरकार ने दो साल पहले बजट में घोषणा की थी। ताकि वाहन मालिकों को प्राइवेट फिटनेस सेंटरों पर मनमानी वसूली नहीं देनी पड़े और विभाग के राजस्व में बढ़ोतरी हो सके, लेकिन बीजेपी सरकार आने के बाद इस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अभी भी प्राइवेट ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटरों पर वाहन मालिकों से 5 हजार रुपए तक की वसूली हो रही है। घोषणा के बाद जयपुर में सेंटर खोलने के लिए सीकर रोड पर जमीन चिह्नित कर ली गई थी। जोधपुर में प्रक्रिया शुरू तक नहीं हुई। केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम की धारा-62 के तहत ऑफिसों में ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर खोले जा सकते हैं। ऑफिसों में वर्तमान में फिटनेस भी हो रही है। ऐसे में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा वाहन मालिकों को ऑफिस में सेंटर खोलकर बड़ी सौगात दे सकते हैं। बिना एटीएस बंद हुए ये अधिकतर सेंटर कांग्रेस सरकार में खुले थे। ओवर साइज ट्रक-ट्रेलर व बढ़ी हुई सीट के वाहनों को फिटनेस दी हालात यह है कि प्राइवेट सेंटरों पर बिना आए वाहनों की फिटनेस जारी हो रही है। सेंटर पर तकनीकी जानकार व्यक्ति नहीं होने की वजह से ओवर साइज ट्रक-ट्रेलर और सीट बढ़ी हुई बसों की फिटनेस हो रही है। ये वाहन सड़क पर दुर्घटना को न्यौता दे रहे हैं। वहीं ऑफिस में सेंटर खुलते हैं तो डीटीओ-इंस्पेक्टर के निरीक्षण में फिटनेस जारी होगी। गलत फिटनेस होने पर दोनों पर कार्रवाई की जा सकती है। ये मैकनिकल इंजीनियर होते हैं। 30 करोड़ की लागत से हर साल 81 करोड़ का मिल सकता है राजस्व विभाग राजस्व अर्जित करने के लिए एक तरफ तो ओवरलोड वाहनों के पीछे दौड़ रहा है। आरटीओ-डीटीओ को भीषण गर्मी में फील्ड में उतार रखा है। इसके बावजूद भी टारगेट पूरा नहीं हो रहा है। वहीं विभाग प्रदेश के आरटीओ-डीटीओ ऑफिस में ऑटोमेटिक फिटनेस सेंटर स्थापित करता है तो विभाग को हर साल करीब 81 करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है। इसके लिए विभाग को वन टाइम करीब 50 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। ऑफिस में सेंटर खुलने से प्राइवेट फिटनेस सेंटरों की मनमानी रूकेगी। दूसरी तरफ विभाग के राजस्व में हर साल बढ़ोतरी होगी। वाहन मालिकों को नजदीकी फिटनेस की सुविधा मिलेगी। आफिस में खुलने वाले सेंटर में मुख्य हेडलाइट अलाईनर, एग्जॉस्ट अनालाईजर, रोलर ब्रेक टेस्टर, स्टेयरिंग गियर फ्री प्ले डिटेक्टर जैसी मशीनों के साथ सेटअप होना अनिवार्य है। ऐसे समझें गणित... प्रदेश में 2.14 करोड़ वाहन पंजीयन हैं। इसमें से 17 लाख कॉमर्शियल वाहन है। 8 वर्ष तक के वाहनों की हर 2 वर्ष में एक बार और 8 वर्ष से अधिक के वाहनों की हर साल फिटनेस होना जरूरी है। प्रदेश में हर साल 9 लाख वाहनों की फिटनेस होती है। हर हल्के वाहन से फिटनेस के नाम पर 600 और भारी वाहन से ~1000 फीस ली जाती है। औसतन ~900 प्रति वाहन फीस मानते हैं तो हर साल कुल ~81 करोड़ का विभाग को राजस्व मिलेगा। यह हर साल मिलता रहेगा। इसके लिए वन टाइम विभाग को ~50 करोड़ सेंटरों पर खर्च करने होंगे।