सवा साल में तीसरी बार लापरवाही:SMS का भरोसा टूटा; महिला को B+ की जगह A+ खून चढ़ाया, मौत

सवा साल में तीसरी बार लापरवाही:SMS का भरोसा टूटा; महिला को B+ की जगह A+ खून चढ़ाया, मौत
एसएमएस अस्पताल के जनरल मेडिसिन विभाग में भर्ती गर्भवती महिला को बी पॉजिटिव की जगह ए पॉजिटिव ब्लड चढ़ा दिया। मरीज की उसी समय स्थिति खराब हो गई और बाद में मौत हो गई। अब मामले में हर बार की तरह जांच करने और फिर कार्रवाई की बात कही जा रही है। पिछले एक साल में यह तीसरी बार है जब मरीज को गलत ब्लड चढ़ाया गया है। फरवरी 2024 में भी इसी लापरवाही से दौसा के युवक की जान जा चुकी है। मामले के अनुसार टोंक की 23 साल की नीलू को 12 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गंभीर हालत में उसे इमरजेंसी लाया गया और वहां से मेडिसिन वार्ड में भर्ती किया गया। नीलू गर्भवती थी और टीबी से जुड़ी परेशानी के चलते अस्पताल लाया गया था। महिला को आईसीयू की जरूरत थी लेकिन बेड खाली नहीं होने के कारण उसे वार्ड में ही भर्ती किया गया और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा। 15 मई को उसे वेंटिलेटर पर लिया गया। नीलू 5 माह की प्रेंगनेंट थी और जांच के दौरान पता चला कि गर्भ में बच्चे की हार्ट रेट नहीं आ रही। पर्ची पर ब्लड की जानकारी नहीं लिखी 19 मई को गायनी विभाग के डॉक्टर्स को बुलाया गया और उसकी डिलीवरी कराई गई। डॉक्टर्स ने ब्लड की कमी बताई। जिस पर्ची पर ब्लड ग्रुप लिखा, उससे अलग ब्लड सप्लाई कर दिया गया और बिना क्रॉस मैच के उसे चढ़ा दिया गया। ब्लड चढ़ाने के कुछ ही देर में नीलू के शरीर में कंपन्न होने लगा और उसकी मौत हो गई। बड़ा सवाल... बिना जांच ब्लड कैसे चढ़ा दिया परिजनों का आरोप है कि जो पर्ची दी गई उस पर कोई ब्लड ग्रुप नहीं लिखा था। सवाल यह कि बिना ब्लड ग्रुप जांच के ब्लड बैंक ने खून कैसे दिया? चढ़ाने से पहले क्रास चेक क्यों नहीं किया? यदि पर्ची में बी पॉजिटिव लिखा था तो ए पॉजिटिव कैसे सप्लाई किया? यदि ब्लड बैंक से ए पॉजिटिव सप्लाई किया तो मरीज को ब्लड चढ़ाते समय जांच क्यों नहीं की गई?