राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद:सरकारी बीएड कॉलेज की मान्यता समाप्त, इस साल नहीं होंगे दाखिले

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद:सरकारी बीएड कॉलेज की मान्यता समाप्त, इस साल नहीं होंगे दाखिले
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बीकानेर के सरकारी बीएड कॉलेज की मान्यता समाप्त कर दी है। एमएड पाठ्यक्रम के साथ-साथ अब इस साल बीएड कोर्स में भी दाखिले नहीं होंगे। एनसीटीई की अपील समिति ने शिक्षा विभाग की अपील को खारिज करते हुए वेस्टर्न रीजनल कमेटी (डब्ल्यूआरसी) के मान्यता वापसी के निर्णय को उचित ठहराया है। दोनों सरकारी बीएड कॉलेज में दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम की 150-150 सीटें स्वीकृत हैं। जबकि एमएड पाठ्यक्रम में 50-50 सीटें निर्धारित हैं। दोनों अपील आदेशों में अपीलों को खारिज करने का जो आधार बताया गया है उसके तहत बीएड व एमएड दोनों ही पाठयक्रमों के लिए जो शिक्षक हैं वे स्कूल के शिक्षक हैं जिन्हें सीमित अवधि के लिए स्कूलों से इस कॉलेज में लगाया गया है। अपील समिति ने अपने आदेश लिखा कि संस्थान 1998 से बीएड व 2000 से एमएड पाठयक्रम संचालित कर रहा है लेकिन इन पाठ्यक्रमों के लिए शिक्षकों का न चयन किया गया व न ही नियुक्ति की गई। एक नियामक संस्थान द्वारा की गई यह टिप्पणी राजस्थान सरकार की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर चोट है। दरअसल, 24 अप्रैल 2012 से बीएड व एमएड पाठ्यक्रम को उच्च शिक्षा के अधीन कर दिया गया है। राजस्थान टीटी कॉलेज बीकानेर और अजमेर के सरकारी बीएड कॉलेज में अभी भी उच्च माध्यमिक स्कूलों का स्टाफ लगा हुआ है। अजमेर के सरकारी बीएड कॉलेज की अपील पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है। विदित रहे कि एमएड पाठ्यक्रम की मान्यता पिछले साल ही खत्म कर दी गई थी। इस कारण पिछले साल में एमएड के प्रवेश नहीं हुए। यूं समझें - इन शर्तों को पूरा नहीं कर रहा स्कूली शिक्षा विभाग ‘दैनिक भास्कर’ ने जब इस मसले पर एक्सपर्ट से जाना तो सामने आया कि शिक्षा विभाग ने नया स्टाफ तो दोनों कॉलेजों में लगाया। लेकिन यह स्कूल शिक्षा विभाग का स्टाफ अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं कर रहा है। एक्सपर्ट ने बताया कि एनसीटीई के मापदंड के अनुसार शिक्षकों के पद प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, व असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के होने चाहिए व उनका चयन विश्वविद्यालय अनुदान आयोग व संबद्धता प्रदान करने वाले विश्वविद्यालय के नियमानुसार गठित चयन समिति के द्वारा होना चाहिए। इस अनिवार्य शर्त की पूर्ति यहां नहीं हो रही है। यही कारण है कि वर्ष 2023 से दोनों बीएड कॉलेजों के पास एनसीटीई की मान्यता नहीं है। न्यायालय में वाद के आधार पर पिछले साल बीएड पाठ्यक्रम में अभ्यर्थियों को प्रवेश मिला था। 10 मार्च को बीएड-एमएड में लगाया अलग-अलग स्टाफ, फिर भी नहीं बची मान्यता मान्यता वापसी के लिए हालांकि शिक्षा विभाग ने 10 मार्च को बीएड और एमएड पाठ्यक्रम के लिए दोनों सरकारी कॉलेजों में 68 शिक्षकों का अलग-अलग स्टाफ लगाया था। लेकिन यह स्टाफ केवल अस्थाई रूप से एक साल के लिए होने के कारण एनसीटीई ने शिक्षा विभाग की अपील को खारिज करते हुए मान्यता रद्द की है। इधर, बीएड कॉलेजों में प्रवेश के लिए पीटीईटी 15 जून को नोडल एजेंसी वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा की ओर से इस साल पीटीईटी की परीक्षा 15 जून को करवाई जाएंगे। जिसके लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए राज्य के लगभग दो लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। बीकानेर के सरकारी बीएड कॉलेज की मान्यता खत्म हो जाने के कारण अब यह कॉलेज पीटीईटी की काउंसलिंग में शामिल नहीं हो पाएगा। टॉपर्स अभ्यर्थियों को भी प्राइवेट कॉलेजों में लेना होगा दाखिला बीकानेर के सरकारी बीएड कॉलेज की मान्यता समाप्त होने से अब पीटीईटी परीक्षा के टॉपर स्टूडेंट्स को भी निजी कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। राज्य के 941 बीएड कॉलेजों में सरकारी कॉलेज सिर्फ दो ही है। बीकानेर के सरकारी बीएड कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा के साथ - साथ यहां प्रवेशित सामान्य महिलाओं को शिक्षण शुल्क रिफंड किया जाता है जो राशि 17880 रुपए निर्धारित है।