राशन डीलर ने 9 हजार लोगों का गेहूं डकारा:राशन हड़पकर हर माह ग्रामीणों के बीच भेज रहा था डीएसओ की फर्जी टीम, ताकि पकड़ा न जाए

राशन डीलर ने 9 हजार लोगों का गेहूं डकारा:राशन हड़पकर हर माह ग्रामीणों के बीच भेज रहा था डीएसओ की फर्जी टीम, ताकि पकड़ा न जाए
शहर से सटे लकड़वास और खेगरों की भागल में राशन डीलर प्रहलाद चोरड़िया ने 3 माह तक न केवल लोगों का राशन हड़पा, बल्कि दो लोगों की फर्जी टीम बनाकर जिला रसद अधिकारी कार्यालय (डीएसओ) की टीम के रूप में जांच के लिए ग्रामीणों के बीच भेजता रहा। सोमवार को ग्रामीण उसकी दुकान के बाहर जुटे। उसने राशन देने से मना किया तो ग्रामीण आक्रोशित हो गए और विरोध-प्रदर्शन करते हुए दुकान को बंद कर दिया। सूचना मिलने के बाद डीएसओ से टीम आई तो मामले का खुलासा हुआ। डीएसओ मनीष भटनागर ने दुकान का लाइसेंस निरस्त कर गोदाम को सीज करा दिया। डीलर के खिलाफ केस दर्ज कराने की भी तैयारी है। ग्रामीणों को उनका तीन माह का राशन भी दिलाने के निर्देश दिए गए हैं। राशन दुकान पर कार्रवाई के दौरान दोनों पंचायतों के सरपंचों के अलावा सचिव प्रदीप शर्मा, पटवारी दिनेश दारंगी, वार्ड पंच दुर्गाशंकर डांगी, विष्णु प्रजापत, दिलीप खटीक, मांगीलाल गमेती, विष्णु सेन आदि ग्रामीण भी मौजूद रहे। जल्द राशन देने की बात कहकर लेता रहा ग्रामीणों के बायोमैट्रिक दोनों ही पंचायतों के करीब 650 गरीब परिवारों से जुड़े 3 हजार लोगों का राशन हर माह यह डीलर डकार चुका है। इसने मार्च माह से झांसा देना शुरू किया। वह राशन देने की बात कहकर उनके बायोमैट्रिक फिंगर प्रिंट लेता रहा। अप्रैल-मई में भी ऐसा किया। हर माह डीएसओ के दो फर्जी लोग भेजकर उनसे जल्द राशन दिलाने का आश्वासन दिलाता रहा। अंत्योदय अन्न योजना के तहत हर लाभार्थी परिवार को हर माह 35 किलो और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी परिवारों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो गेहूं दिए जाते हैं। दोनों पंचायतों की अनुमानित आबादी 8 हजार है। प्रदर्शन करते लोग। सीज गोदाम। ग्रामीणों ने टीम में आए व्यक्ति की जांच की तो खुला मामला खेगरों की भागल के सरपंच तुलसीराम मीणा और लकड़वास सरपंच निरमा गमेती व वार्ड पंच दुर्गाशंकर डांगी ने बताया कि डीलर ने पिछले सप्ताह डीएसओ टीम के रूप में जिन दो लोगों को भेजा था उनमें से एक से पूछताछ की गई। उसने चतर सिंह नाम बताया। उसके नंबर भी लिए। बाद में उसको कॉल किया तो महिला बोली और कहा कि वह किसी चतर सिंह को नहीं जानती और नंबर भी चतर के नहीं है। मामला फर्जी देख डीएसओ कार्यालय में कॉल किया। वहां से पता चला कि दोनों गांवों में तो कोई टीम भेजी ही नहीं गई। इसके बाद डीएसओ कार्यालय में सूचना दी गई। टीम ने दुकान पर पहुंचकर कार्रवाई की।