'रामविलास की तलाकशुदा पत्नी का संपत्ति पर कोई हक नहीं':पारस बोले-पर्दे पर चिराग हैं, पीछे कोई और है, अगले सप्ताह महागठबंधन में शामिल होंगे

पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोजपा जल्द महागठबंधन में शामिल होगी। अगले 5 से 7 दिनों में इसका आधिकारिक ऐलान कर दिया जाएगा। पारस ने भास्कर को बताया, 'गठबंधन के लिए हमारी लालू यादव और तेजस्वी यादव से बात हो चुकी है। नए गठजोड़ से महागठबंधन को विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर फायदा होगा।’ भतीजे चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर पारस ने कहा, ‘वह इतने ही लोकप्रिय और जात के बड़े लीडर हैं तो कुशेश्वर स्थान और तारापुर सीट पर हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त क्यों हो गई थी? 2020 विधानसभा चुनाव में तो बड़े भइया (रामविलास पासवान) की मृत्यु पर सहानुभूति के तहत वोट मिला था।’ पारस ने भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में राज्य सरकार से लेकर परिवार तक के सवाल पर बेबाकी से जवाब दिया है। पढ़िए और देखिए, एक्सक्लूसिव इंटरव्यू… सवाल- आप NDA का साथ छोड़ चुके हैं और महागठबंधन ने भी आपकी पार्टी को अब तक क्यों नहीं अपनाया? जवाब- नहीं, ऐसी बात नहीं है। देखिए, NDA को तो मैंने छोड़ दिया। इसके बाद हमारी पार्टी में फैसला हुआ कि सबसे पहले हम अपनी पार्टी को मजबूत करेंगे। बिहार विधानसभा चुनाव में 4 से 5 महीने का वक्त बचा है। खैर, देश में दो ही गठबंधन है। एक NDA है और दूसरा महागठबंधन है। हमारी मुलाकात लालू प्रसाद जी से हुई थी। 15 जनवरी को वो हमारे यहां आए भी थे। हम भी उनके यहां इफ्तार पार्टी में गए थे। उनसे हमारा पुराना और पारिवारिक संबंध है। महागठबंधन में शामिल होने को लेकर हमारी उनसे कई बार बातें हुई हैं। अभी हमलोग महागठबंधन में नहीं हैं। लेकिन, राजद से बात कर आने वाले 5-7 दिनों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महागठबंधन में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा कर देंगे। सवाल- क्या महागठबंधन में आपके शामिल होने को लेकर लालू प्रसाद या तेजस्वी यादव से बात हुई है? इनका क्या रूख है? जवाब- हां, उनका रुख स्पष्ट है। वो मेरे पक्ष में हैं। सवाल- केंद्र की राजनीति को छोड़कर चिराग पासवान बिहार आना चाहते हैं? जवाब- वह देश में कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं। ये उनका अधिकार है। जहां तक बिहार के लोगों के बुलाने की बात है तो एक व्यक्ति का नाम बता दीजिए कि कौन उन्हें बुला रहा है? देखिए बिहार की जनता बहुत राजनीतिज्ञ है। सारे आंदोलन बिहार से ही शुरू हुए। यहां की जनता जानती है कि कौन किसके पक्ष में है और कौन किसके पक्ष में नहीं है। अगर, जनता चिराग पासवान को बुला रही है तो मंत्री पद से इस्तीफा दें और चुनाव लड़ें। सवाल- क्या चिराग प्रेशर पॉलिटिक्स कर रहे हैं या सच में उनके अंदर बिहार के लिए काम करने की इच्छा है? जवाब- ये लोगों की गलतफहमी है कि 2020 में चिराग पासवान को वोट आया था। उस समय हमारे बड़े भाई रामविलास पासवान जी की मृत्यु हुई थी। इस कारण वो सहानुभूति वोट मिला था। उस वक्त हमारी पार्टी एक थी। हमलोग एक थे। उस टाइम लोगों के बीच यह गलतफहमी पैदा हो गई थी कि ये नरेंद्र मोदी के हनुमान हैं। ये भ्रम पैदा किया गया था। जिन लोगों का भाजपा या दूसरे जगह से टिकट कटा था, उन्हें बुला-बुलाकर टिकट दिया गया था। इसमें एक बात बताइए कि उस विधानसभा चुनाव में 5 से साढ़े 5 प्रतिशत वोट मिला तो फिर ठीक इसके एक साल बाद जब बिहार में दो सीटों कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा सीट के उप चुनाव में उनके उम्मीदवार की जमानत जब्त क्यों हो गई। जबकि, तारापुर तो चिराग पासवान के लोकसभा क्षेत्र में आता था। ये सब महज दिखावा है। पर्दे पर कुछ है और पर्दे के बाहर कुछ और है। सवाल- खगड़िया की पैतृक संपत्ति को लेकर आपके परिवार में विवाद हुआ था। आपकी बड़ी भाभी ने आपके ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे? जवाब- उसमें कोई विवाद नहीं है। ये बदनाम करने की साजिश है। हम तीन भाई और एक बहन हैं। वो मकान हमारे पिता जी के नाम से है। जहां तक घर से निकालने की बात है तो हम तीन भाई हैं तो उसमें तीनों का हिस्सा होगा न। उसमें 6 कमरे हैं। शहरबन्नी में रह रहीं भाभी को स्व. पासवान जी ने हिन्दू लॉ के तहत तलाक दिया था। तलाक के बाद औरत का कोई अधिकार नहीं होता है। फिर भी पिछले 45 सालों से उनकी हमने सेवा की है। बड़ी भाभी को हमलोग मां की तरह मानते हैं। साजिश के तहत दिल्ली-पटना के लोगों ने (चिराग का नाम लिए बगैर) उसे राजनीतिक रंग दिया। आप FIR की कॉपी मंगवा कर देखिए। भाभी राजकुमारी देवी को दस्तखत करने नहीं आता है। वो अंगूठे का निशान लगाती हैं। जबकि, दूसरे का दस्तखत कराकर FIR कराई गई है। मैंने इसका विरोध किया था और वहां के एसपी को लिखा भी था। ये सब 100 प्रतिशत झूठ है, बदनाम करने के लिए राजनीतिक साजिश है। सवाल- तेज प्रताप यादव के मामले में आपने अपनी पार्टी से आकाश यादव को निकाल दिया। कहा जा रहा है कि ये कार्रवाई तेजस्वी यादव के इशारे पर हुई? जवाब- नहीं, नहीं। बहुत दिनों से वो हमारे दल में निष्क्रिय थे। उन्हें बदलने की हमारी पार्टी की मजबूरी भी थी। इसके लिए पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड ने फैसला लिया था। उनकी जगह किसी नए शख्स को छात्र का नेता बनाया जाए। क्योंकि, वो छात्र विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जबकि, आकाश यादव की उम्र अधिक हो गई थी। तेजप्रताप यादव के मामले से हमारा या हमारे दल का क्या लेना-देना है। उस मामले से कोई संबंध नहीं है। सवाल- क्या बिहार में दलित वोटर्स आपके साथ हैं? जवाब- 2-3 महीने पहले लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के खिलाफ जो आपत्तिजनक बयान दिया था, उसके बाद से बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के दलित NDA से नाराज हैं। बिहार के 22 जिलों में घूमने के बाद हमें पता चला कि हमारे वोटर्स का रुझान NDA के खिलाफ है। वो महागठबंधन के पक्ष में है। जब भी बिहार विधानसभा चुनाव होगा 95 प्रतिशत दलित और 100 प्रतिशत मुस्लिम का वोट महागठबंधन को मिलेगा। सवाल- आपके महागठबंधन में शामिल होने से गठबंधन को क्या फायदा होगा? जवाब- महागठबंधन में जाने से हमारी पार्टी के साथ-साथ राजद और उसकी सहयोगी पार्टियों को फायदा होगा। ताली दोनों हाथों से बजती है। एक हाथ से तो चुटकी बजती है। हमारी पार्टी के महागठबंधन में जाने से वोट का बिखराव नहीं होगा। हमलोग सभी 243 सीटों पर उनकी मदद करेंगे। इसमें जो सीटें उनके तरफ से हमें मिलेंगी, उन पर वो हमारी मदद करेंगे। बिहार में एक पार्टी और एक व्यक्ति की सरकार पिछले 20 सालों से है। इससे बिहार के लोग तबाह और परेशान हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ्य हैं। बिहार की जनता बदलाव चाहती है।