बदलता ट्रेंड; लास्ट स्टेज के ब्रेन ट्यूमर से पता चल रहा दूसरे अंगों में भी कैंसर

ब्रेन ट्यूमर भी ट्रेंड बदल रहा है। पहली बार ऐसे केस सामने आ रहे हैं, जिन्हें लंबे समय से ब्रेन टयूमर है और वह काफी विकसित हो चुका। लेकिन ब्रेन में कैंसर वाले ट्यूमर विकसित होने के बाद पता चल रहा है कि शरीर के दूसरे अंगों में भी कैंसर लास्ट स्टेज तक आ चुका है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर न्यूरोसर्जरी डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि जब कोई मरीज सिरदर्द, उलझन, दौरे या चक्कर की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास आता है और जांच में मस्तिष्क में ट्यूमर पाया जाता है तो सामान्यतः यही माना जाता है कि यह ब्रेन ट्यूमर है। कई बार ऐसा भी होता है कि यह ट्यूमर दरअसल शरीर के किसी अन्य अंग जैसे फेफड़े, स्तन, किडनी या पेट से फैलकर मस्तिष्क तक पहुंचा होता है। न्यूरोसर्जन डॉ. कमल गोयल बताते हैं कि ऐसे मामलों में कैंसर का मूल स्रोत पहचान में नहीं आता और ब्रेन ट्यूमर ही पहली चेतावनी बनता है। इस स्थिति को कैंसर ऑफ अननोन प्राइमरी (अज्ञात प्राइमरी कैंसर) कहते हैं। ऐसे 5 से 8 प्रतिशत मामलों में देखने को मिल रहा है। 10 से 30 फीसदी मरीजों में मस्तिष्क तक फैल रहा न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एसपी पाटीदार ने बताया कि फेफड़ों और स्तन कैंसर के मस्तिष्क में फैलने का अधिक डर रहता है। इनके लगभग 10 से 30 प्रतिशत मरीजों में मस्तिष्क में फैलाव पाया जाता है। त्वचा का कैंसर (मेलानोमा) भी अत्यधिक जोखिम वाला माना जाता है, जिसमें लगभग 50 प्रतिशत मामलों में ब्रेन मेटास्टेसिस देखा गया है। वहीं, किडनी कैंसर के 5 से 11 प्रतिशत और कोलोरेक्टल कैंसर लगभग 5 प्रतिशत मरीजों में यह खतरा मौजूद रहता है। न्यूरोसर्जन डॉ. अमित चक्रबर्ती व डॉ. हिमांशु गुप्ता ने बताया कि न्यूरो नेविगेशन सिस्टम की मदद से ऑपरेशन के दौरान सर्जन को यह रियल टाइम में पता चलता रहता है कि वह मस्तिष्क के किस हिस्से में कार्य कर रहे हैं। इस तकनीक से ट्यूमर की सटीक लोकेशन पता चलती है और सर्जरी करते वक्त यह देखा जा सकता है कि आसपास की कोई महत्वपूर्ण नस या ब्रेन टिशू प्रभावित तो नहीं हो रहा। साथ ही, ट्यूमर को सही दिशा से निकाला जा रहा है या नहीं, यह भी इस सिस्टम से लगातार मॉनिटर किया जा सकता है।