पुरानी IIT की नॉन-कोर ब्रांच या नई IIT कोर ब्रांच?:भास्कर गाइड: जेईई के बाद छात्रों की सबसे बड़ी उलझन पर विशेषज्ञ की राय

पुरानी IIT की नॉन-कोर ब्रांच या नई IIT कोर ब्रांच?:भास्कर गाइड: जेईई के बाद छात्रों की सबसे बड़ी उलझन पर विशेषज्ञ की राय
जेईई एडवांस्ड और मेंस के परिणाम जारी होते ही देशभर के मेधावी छात्र एक बड़े फैसले की दहलीज पर खड़े हैं। सवाल है – क्या उन्हें पुरानी प्रतिष्ठित आईआईटी (जैसे बॉम्बे, दिल्ली, कानपुर, मद्रास, खड़गपुर, रुड़की, गुवाहाटी) में नॉन-कोर ब्रांच (मेटलर्जी, बायोटेक्नोलॉजी, एनवायरनमेंटल साइंस आदि) चुननी चाहिए या फिर नई आईआईटी (जैसे जोधपुर, रोपड़, गांधीनगर आदि) में कोर ब्रांच (कंप्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल आदि) को प्राथमिकता देनी चाहिए? इसी के साथ, एनआईटी की कोर ब्रांच और नई आईआईटी की नॉन-कोर ब्रांच के बीच भी छात्र असमंजस में हैं। जेईई-नीट विशेषज्ञ डॉ. दिनेश वैष्णव कहते हैं - “कोई भी ब्रांच बेकार नहीं होती और कोई भी कॉलेज सफलता की गारंटी नहीं देता। आपकी सोच, अनुशासन और लगातार सीखने की चाह ही आपको आगे ले जाती है। आज के समय में करियर में लचीलापन और बहु-कौशलता सबसे जरूरी है।” जेईई के बाद कॉलेज और ब्रांच चयन का फैसला केवल करियर ही नहीं, बल्कि जीवन की दिशा तय करता है। सही मार्गदर्शन, आत्मविश्लेषण और गहन सोच के साथ ही यह निर्णय लें। ब्रांड बनाम ब्रांच: क्या है असली महत्व? डॉ. वैष्णव के अनुसार, “पुरानी आईआईटी का ब्रांड, मजबूत एलुमनी नेटवर्क, अनुभवी फैकल्टी और इंडस्ट्री कनेक्शन आज भी प्लेसमेंट, रिसर्च और उच्च शिक्षा के लिए सबसे बेहतर माने जाते हैं, चाहे ब्रांच कोर हो या नॉन-कोर। वहीं, नई आईआईटी में तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन प्लेसमेंट और एक्सपोजर में अभी समय लगेगा।” डॉ. वैष्णव बताते हैं कि एनआईटी में कोर ब्रांच से तुरंत नौकरी की संभावना अधिक है, लेकिन आईआईटी का टैग लंबे समय में उच्च शिक्षा, आईआईएम इंटरव्यू, विदेश में प्रवेश या पीएसयू में बहुत काम आता है। कोर बनाम नॉन-कोर: मिथक या सच्चाई? विशेषज्ञों का मानना है कि आज के समय में ब्रांच से ज्यादा महत्व है – डॉ. वैष्णव के अनुसार, “सैकड़ों छात्रों ने नॉन-कोर ब्रांच से निकलकर गूगल, अमेज़न, इसरो, गोल्डमैन सैक्स जैसी विश्वस्तरीय कंपनियों में अपनी पहचान बनाई है।” छात्रों के लिए सुझाव डॉ. वैष्णव सलाह देते हैं कि छात्र निर्णय से पहले खुद से ये सवाल जरूर पूछें – साथ ही, मेंटर्स, सीनियर्स और शिक्षकों से खुलकर चर्चा करने, कॉलेज की वास्तविक प्लेसमेंट रिपोर्ट देखने और यूट्यूब, लिंक्डइन, क्वोरा आदि पर पुराने छात्रों के अनुभव पढ़ने और उनसे सीखने की कोशिश करनी चाहिए। (भास्कर एक्सपर्ट डॉ. दिनेश वैष्णव जोधपुर स्थित रेजोनेंस के सेंटर हेड)