पंजाब के कर्नल मनप्रीत सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र:गोली लगने के बाद भी लड़ते रहे, एक आतंकी किया ढेर, टीम की जान बचाई

पंजाब के कर्नल मनप्रीत सिंह को मरणोपरांत कीर्ति चक्र:गोली लगने के बाद भी लड़ते रहे, एक आतंकी किया ढेर, टीम की जान बचाई
भारतीय सेना के वीर अधिकारी कर्नल मनप्रीत सिंह ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देकर अमर वीरों की श्रेणी में अपना नाम दर्ज कराया। आतंकवाद के खिलाफ लड़ते हुए अद्वितीय वीरता, नेतृत्व और साहस का परिचय देने के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा मरणोपरांत "कीर्ति चक्र" से सम्मानित किया गया है। कर्नल मनप्रीत सिंह भारतीय सेना की सिख लाइट इन्फैंट्री, 19 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे और पंजाब के अमृतसर जिले के निवासी थे। वर्तमान में उनका परिवार न्यू चंडीगढ़ में बसा हुआ है और हर साल उनकी बरसी पर शहीदी समागम का आयोजन किया जाता है। उनके बलिदान का दिन 13 सितंबर 2023 था। यह दिन भारतीय सैन्य इतिहास में साहस और समर्पण की मिसाल के रूप में दर्ज हो गया। कर्नल मनप्रीत सिंह जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले की घनी पहाड़ियों में एक विशेष "सर्च एंड डिस्ट्रॉय ऑपरेशन" का नेतृत्व कर रहे थे। यह ऑपरेशन आतंकवादी गतिविधियों को बेअसर करने और इलाके में शांति बहाल करने के लिए चलाया गया था। उनके साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस के उप पुलिस अधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल भट भी थे, जिन्होंने इस ऑपरेशन में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। मां मनजीत कौर व पत्नी जगमीत की भावुक तस्वीरें- 4 पॉइंट्स में पढ़े, शहादत से अंतिम विदाई की कहानी- 1. वीरता का परिचय देते हुए शहादत (13 सितंबर 2023): कर्नल मनप्रीत सिंह ने जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले की दुर्गम पहाड़ियों में आतंकवादियों के खिलाफ एक अत्यंत जोखिमपूर्ण "सर्च एंड डिस्ट्रॉय ऑपरेशन" का नेतृत्व किया। जैसे ही आतंकियों की मौजूदगी की पुष्टि हुई, उन्होंने तुरंत घेराबंदी की योजना बनाई और खुद सबसे आगे मोर्चा संभाला। संकरी पगडंडियों से होकर, गोलियों की बौछार के बीच, उन्होंने आतंकियों पर सीधी गोलीबारी की और एक दुश्मन को मौके पर ही ढेर कर दिया। इस मुठभेड़ में जब उनके सिर पर गोली लगी, तब भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अंतिम सांस तक दुश्मनों से डटकर मुकाबला करते रहे। यह बलिदान भारतीय सेना की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक बन गया। 2. कर्तव्य पर अडिग एक और शहीद – डीएसपी हिमायूं भट: इस वीरता भरे ऑपरेशन में कर्नल मनप्रीत सिंह के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस के पुलिस उपाधीक्षक हिमायूं मुजम्मिल भट भी शामिल थे। वह भी मोर्चे पर डटे रहे और अपने कर्तव्य का पालन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। यह दो सुरक्षाबलों के बीच तालमेल और सर्वोच्च बलिदान की मिसाल थी, जिसने देश को यह दिखा दिया कि भारत के सपूत हर खतरे से लड़ने को तत्पर हैं। 3. अंतिम संस्कार –बेटे की अंतिम सलामी, कहा- पापा, जय हिंद कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर जब उनके पैतृक गांव भड़ौजियां (न्यू चंडीगढ़) पहुंचा, तो हर आँख नम हो गई। पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सबसे भावुक क्षण तब आया जब उनके बेटे कबीर ने सैनिक की वर्दी पहनकर अपने शहीद पिता को मुखाग्नि दी। कबीर ने अपने पिता को अंतिम बार सलामी देते हुए बस इतना कहा — “पापा, जय हिंद।” यह दृश्य पूरे देश के दिल को छू गया और लाखों भारतीयों की आँखें नम कर गया। 4. जनसैलाब और राज्यपाल की श्रद्धांजलि: शहीद कर्नल की अंतिम यात्रा में इतना जनसैलाब उमड़ा कि घर से श्मशान तक की 200 मीटर की दूरी तय करने में 20 मिनट लग गए। हर गली और छत पर लोग अपने नायक को अंतिम विदाई देने के लिए खड़े थे। पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित स्वयं श्रद्धांजलि देने पहुंचे और शहीद कर्नल के बलिदान को देश के लिए अमूल्य बताया। यह दृश्य न केवल दुखद था, बल्कि एक सच्चे नायक को दी गई वह श्रद्धांजलि थी, जो सदैव इतिहास में दर्ज रहेगी। जानें कौन हैं कर्नल मनप्रीत सिंह जानकारी के मुताबिक, कर्नल मनप्रीत सिंह मूल रूप से पंजाब के भरोंजियां गांव के निवासी थे, जो कि चंडीगढ़ के पास का है। उनकी फैमिली चंडीगढ़ में रहती हैं। उनकी शहादत से उनकी पत्नी जगमीत ग्रेवाल और दो बच्चों को बड़ा झटका लगा है। उनका एक बेटा 8 साल का है, जबकि 4 साल की बेटी है। शहीद मनप्रीत सिंह 2003 में लेफ्टिनेंट के पद पर भर्ती हुए थे। 2020 में वह कर्नल बने थे। उनके पिता अपनी रिटायरमेंट के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में सुरक्षाकर्मी के तौर पर काम करने लग गए थे। उनकी मृत्यु जॉब के दौरान हुई थी। इसलिए शहीद मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह को नॉन टीचिंग स्टाफ में भर्ती किया गया था। वह अभी पंजाब यूनिवर्सिटी में ही काम करते हैं।