खराब सोफा-बेड डिलीवरी पर कंपनी चुकाए हर्जाना:राज्य उपभोक्ता आयोग जोधपुर का फैसला; 81 हजार रुपए में खरीदा था फर्नीचर

जोधपुर स्थित राजस्थान राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एक महत्वपूर्ण फैसले में उपभोक्ता को राहत देते हुए फर्नीचर निर्माता कंपनी को भुगतान राशि लौटाने के साथ ही हर्जाना देने का आदेश दिया है। यह मामला उपभोक्ता मनोज रहडू की ओर से मैनहटन फर्नीचर्स (The Sofa Maker LLP) के खिलाफ दायर शिकायत से जुड़ा है, जिसमें खराब गुणवत्ता वाले सोफे की आपूर्ति और अनुचित व्यापार व्यवहार का आरोप लगाया गया था। दरअसल, बासनी सरस्वती नगर निवासी मनोज रहडू ने आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने 17 अक्टूबर 2017 को मैनहटन फर्नीचर्स से 81,000 रुपए में सोफा-कम-बेड खरीदा था। कंपनी ने विज्ञापन में जिस गुणवत्ता और सुविधाओं का दावा किया था, वह सोफे में नहीं मिली। सोफा बनाने में प्रयुक्त सामग्री घटिया थी, हैंडरेस्ट, कुशन और अन्य वादे किए गए फीचर्स भी नहीं थे। इसके अलावा, सोफे के उपयोग से उपभोक्ता को शारीरिक और मानसिक परेशानी भी हुई। जिला उपभोक्ता आयोग का फैसला जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग (द्वितीय), जोधपुर के पीठासीन अध्यक्ष डॉ. श्यामसुंदर लाटा और सदस्य डॉ. अनुराधा व्यास ने अपने आदेश में माना कि कंपनी द्वारा उपभोक्ता को घटिया गुणवत्ता का सोफा-कम-बेड दिया गया, जिससे उपभोक्ता को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक क्षति हुई। आयोग ने कंपनी को आदेश दिया कि वह उपभोक्ता को दो माह के भीतर सोफे की कीमत 46,800 रुपए, मानसिक क्षति के लिए 1 लाख रुपए और मुकदमे का खर्च 5,000 रुपए अदा करें। यदि भुगतान समय पर नहीं किया गया तो वार्षिक ब्याज भी देना होगा। कंपनी ने की राज्य आयोग में अपील फर्नीचर कंपनी ने जिला उपभोक्ता आयोग के फैसले के खिलाफ राज्य उपभोक्ता आयोग, जोधपुर में अपील की। राज्य आयोग के अध्यक्ष जस्टिस देवेंद्र कच्छवाहा और सदस्य लियाकत अली ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला आयोग के फैसले को सही ठहराया और अपील खारिज कर दी। आयोग ने स्पष्ट किया कि अपील में देरी और गुण-दोष दोनों के आधार पर जिला आयोग का आदेश बरकरार रहेगा। साथ ही, दोनों पक्षों को अपने-अपने खर्च वहन करने के निर्देश दिए गए। उपभोक्ता जाने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में अपने अधिकार - एक्सपर्ट: लियाकत अली, उपभोक्ता मार्गदर्शन समिति राजस्थान सवाल- भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत ग्राहकों के क्या कानूनी अधिकार हैं? जवाब- आज का दौर बाजारवाद का है, जिसमें ग्राहक लुभावने विज्ञापनों के झांसे में आकर किसी भी प्रोडक्ट पर यकीन कर लेते हैं और कुछ भी खरीद लेते हैं। देश में कई ई-कॉमर्स साइ्टस हैं, जो हर रोज करोड़ों के सामान बेचती हैं। बाजार के इस बढ़ते प्रभाव के कारण ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसलिए हर ग्राहक को अपने अधिकार पता होने चाहिए। भारत में उपभोक्ता के लिए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 बनाया गया है। इसका उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 उपभोक्ताओं को 6 मौलिक अधिकार देता है। नीचे दिए ग्राफिक में देखिए। 'आइए, ग्राफिक में दिए पॉइंट्स को विस्तार से समझते हैं। सवाल- अगर कोई दुकानदार खराब सामान वापस नहीं करता है तो ग्राहक के पास क्या अधिकार हैं? जवाब- जब कोई ग्राहक किसी दुकान या मॉल से कोई सामान खरीदता है और उसमें किसी तरह की खराबी आती है तो ऐसे में कोई दुकानदार खराब सामान को रिटर्न या रिप्लेस करने से इनकार नहीं कर सकता है। दुकानदार या विक्रेता खराब सामान वापस लेने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। लेकिन अगर वह ऐसा करता है तो ग्राहक उपभोक्ता अदालत में इसकी शिकायत कर सकता है। आयोग आपकी शिकायत को सुनकर उसका समाधान करेगा। ये अदालतें तीन प्रकार की होती हैं। सवाल- दुकानदार की शिकायत कहां और कैसे की जा सकती है? जवाब- ग्राहक ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से दुकानदार के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसे नीचे दिए ग्राफिक से समझिए।