क्लच वायर के फंदे में फंसा भालू:30 घंटे तक जीवन की जंग लड़ता रहा; रेस्क्यू के बावजूद नहीं बची जान

क्लच वायर के फंदे में फंसा भालू:30 घंटे तक जीवन की जंग लड़ता रहा; रेस्क्यू के बावजूद नहीं बची जान
बूंदी जिले के डाबी इलाके में डसालिया वन क्षेत्र के अंदर एक भालू को शिकारी के फंदे से रेस्क्यू किया गया। भालू का पैर क्लच वायर में फंसा हुआ था, जिसे शिकारी ने पेड़ से बांध रखा था। सूचना मिलते ही डाबी वन क्षेत्र की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची। क्षेत्रीय वन अधिकारी रतन लाल बेरवा ने बताया कि ग्रामीणों से सूचना मिलने पर कोटा से वेटरनरी डॉक्टर की टीम को बुलाया गया। टीम ने भालू को ट्रेंकुलाइज कर बेहोश किया और इलाज के लिए कोटा ले गई, यहां जब हम पहुंचे तब भालू ठीक स्थिति में था। लगभग 30 घंटे फंदे में फंसा रहा वेटरनरी डॉक्टर विलास राव ने बताया कि लगभग 25 साल के इस भालू को क्लच वायर में फंसे 20 से 30 घंटे हो चुके थे। भालू ने फंदे से निकलने के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। रेस्क्यू के समय वह मरणासन्न स्थिति में था। जीवन रक्षक दवाइयां देने के बावजूद उसे नहीं बचाया जा सका। पोस्टमॉर्टम में जांच जारी डॉक्टरों के अनुसार भालू के शरीर पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं मिले। पोस्टमॉर्टम के बाद सैंपल लैब भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का सही कारण पता चल पाएगा। वन विभाग परिसर में अधिकारियों की मौजूदगी में भालू का अंतिम संस्कार किया गया। 48 घंटे तक बिना खाए-पिए रह सकते पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह ने बताया कि जंगली जानवर 24 से 48 घंटे तक बिना खाए-पिए रह सकते हैं। शारीरिक चोट या तनाव भी मौत का कारण हो सकता है। रेस्क्यू किए मगरमच्छ की भी हुई थी मौत अप्रैल के माह में सीबी गार्डन के अंदर तालाब के अंदर से एक मगरमच्छ का रेस्क्यू किया था। उस मगरमच्छ को ऑस्ट्रेलियाई तकनीक से बने पिंजरे के जरिए रेस्क्यू किया गया। नदी में रिलीज ना करते हुए। तालाब से ले जाकर मगरमच्छ को नयापुरा वन विभाग चिड़ियाघर में रखा जहां उसकी कुछ दिनों बाद मौत हो गई थी।