एसीबी इंटेलिजेंस विंग की कार्रवाई:रिश्वत के बिना कोई काम नहीं करता था ईओ, इसलिए ऑपरेशन का नाम रखा मनी मिनटिंग

एसीबी इंटेलिजेंस विंग की जांच में सामने आया कि पावटा नगर पालिका के ईओ फतेह सिंह मीणा बिना रिश्वत के कोई काम नहीं करता। ऐसे में एसीबी ने सत्यापन के लिए भी बड़ी टीम लगाई। तब सामने आया कि ईओ ने जयपुर सहित कई शहरों में खुद, पत्नी व परिचितों के नाम कई संपत्तियां खरीदी हैं। उसने 8 साल में 273 फीसदी से ज्यादा संपत्तियां अर्जित की है। ईओ पर आय से अधिक संपति का केस दर्ज किया और कार्रवाई के लिए एसीबी डीजी डॉ. रवि प्रकाश मेहरड़ा ने डीआईजी राजेश सिंह व जांच अधिकारी ज्ञान सिंह के नेतृत्व में 100 अधिकारी-कर्मचारियों की 15 टीमें बनाईं। ईओ का पैसों के प्रति लालच को देखते हुए एसीबी ने ऑपरेशन का नाम भी मनी मिनटिंग (पैसे छापना) रखा। मंगलवार सुबह जयपुर, पावटा, शाहपुरा, कोटपूतली, थानागाजी में 12 ठिकानों पर एक साथ दबिश दी। फार्म हाउस पर अफीम, आपत्तिजनक चीजें मिलीं। कार्रवाई के समय ईओ फतेह सिंह पावटा स्थित किराए के घर में था। भास्कर सवाल: घूसखोराें के हौसले इतने बुलंद क्यों हैं? क्योंकि... 3 साल में एसीबी ने 1716 रिश्वतखोर पकड़े, 653 की जांच अभियोजन स्वीकृति में अटकी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अधिकारियों और कर्मचारियों को घूस लेते लगातार पकड़ रही है, लेकिन इसके बाद भी ऐसे मामलों में कमी नहीं आ रही है। हर साल 500 से 600 ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इसका कारण अफसरों में कार्रवाई का डर ही नहीं है, क्योंकि विभागों से उनके खिलाफ अभियोजन स्वीकृति ही नहीं मिलती। एसीबी ने 1 जनवरी 2022 से 22 मई 2025 तक 1716 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की। इनमें से 1063 की अभियोजन स्वीकृति मिल गई, जबकि 653 के खिलाफ अब भी बाकी है। इसके चलते मामलों की जांच आगे नहीं बढ़ पाई। इनमें से 344 मामलों में अधिकारियों-कर्मचारियों को रंगेहाथ ट्रैप किया है। स्वायत्त शासन सर्वाधिक पेंडिंग, इनकी स्वीकृति अटकी