अनूठा रहा उलूपुरा का 5121 कुंडीय रूद्र महायज्ञ:समापन पर एक लाख से ज्यादा लोगों ने जीमीं प्रसादी, ट्रालियों से परोसा भोजन

उलूपुरा-कमालपुरा गांव में 5121 कुंडीय रूद्र महायज्ञ महोत्सव वास्तव में अद्भुत रहा। 4 मई को 11 हजार से ज्यादा महिलाओं की कलशयात्रा के साथ शुरुआत हुई थी तो रविवार को करीब एक लाख लोगों की महाप्रसादी के साथ समापन हुआ। यह महोत्सव अपने आप में अनूठा था। जितना बड़ा महोत्सव था, उतना ही बड़ा और व्यवस्थित इसे पूरा करवाने का मैनेजमेंट रहा। यह आयोजन क्षेत्र के गांवों के लोगों के आपसी सहयोग व कुशल प्रबंधन की नई मिसाल बन गया। उलूपुरा, कमालपुरा, बाछरेन गांव के लोगों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन गांवों के हर वाशिंदे के लिए यह खुद के घर में शादी-विवाह या उत्सव की खुशियों जैसा था, इसलिए हर व्यक्ति ने इस आयोजन में बढ़चढ़ कर भाग लिया। यज्ञशाला बनाने के लिए नवंबर में ही 200 बीघा खेतों से गेहूं व सरसों की घुटनें जितनी लंबी फसलों को खेतों में हंकवा दिया गया। हजारों-लाखों की फसलों को खेत मालिकों ने खुशी-खुशी हंकवाया। महोत्सव के समापन पर रविवार को भंडारा हुआ। इसके लिए चार पांडाल बने थे। पत्तल जमाने से लेकर भोजन करवाने और पत्तल वापस उठाने तक की जिम्मेदारी पांडाल के अनुसार थी। गांव के युवाओं सहित महिलाएं भी सुबह से रात तक इसमें लगी रहीं। महाप्रसादी में खीर-मालपुआ, पूड़ी, सब्जी, दाल की प्रसादी बनाई। प्रत्येक पांडाल में यह सामग्री ट्रैक्टर ट्रॉलियों में भरकर पहुंचाई। ट्रैक्टरों से ही वितरण की व्यवस्था रखी। महाप्रसादी के लिए 2100 मण मालपुआ, 225 मण खीर बनाई। इसके लिए 2100 मण आटा, 600 पीपे देसी घी, 330 कट्टे शक्कर, 500 मण कद्दू, 100 मण कैरी काम में ली। प्रसादी बनाने के लिए 35 से 40 अतिरिक्त भट्टियां लगाईं।