ईरान में फंसा भोपाल का युवक, लौटने से इनकार:मां बोली- पीएम मोदी ईरान का साथ दें; डॉक्टरेट करने गई गुलअफशां भी आना नहीं चाहती

मेरा बेटा कहता है, इतने सालों से ईरान का नमक खाया है। अब जंग के बीच वहां से चला आया तो लोग कहेंगे की डर के भाग गया। इसलिए अब पढ़ाई पूरी करने के बाद ही भारत वापस लौटूंगा। 30 वर्षीय अबरार की मां शाहनूर (50) जब ये कह रही थीं तो उनके चेहरे पर चिंता और गर्व दोनों के भाव थे। अबरार और उसका परिवार भोपाल का रहने वाला है, लेकिन चार साल पहले पढ़ाई के लिए अबरार अपने परिवार से दूर ईरान चला गया। वहां मासूमा कुम में वो मौलाना बनने की पढ़ाई कर रहा था कि तभी इजराइल-ईरान युद्ध शुरू हो गया। ऐसे में वहां रह रहे सभी भारतीय छात्र भारत लौटने के लिए बेताब थे, लेकिन अबरार ने वापस लौटने से इनकार कर दिया। वहीं, दूसरी ओर भोपाल की ही गुलअफशां की कहानी अलग है। वह भी ईरान-इजराइल युद्ध के कारण ईरान में हैं। वो भारत आना चाहती हैं, लेकिन युद्ध के कारण ये मुमकिन नहीं हो पा रहा। पढ़िए ईरान में फंसे दो अलग-अलग लोगों के परिवार के हालात सबसे पहले जानिए अबरार के परिवार का हाल
दैनिक भास्कर की टीम सबसे पहले भोपाल में अबरार के घर पहुंची। यहां पता चला कि अबरार बचपन से ही ईरान जाकर तालीम हासिल करना चाहता था। उसे ईरान और वहां के लोग हमेशा से बहुत पसंद थे। उसने मां से कहा, जब ईरान जीतेगा और उसकी पढ़ाई भी पूरी हो जाएगी, तभी भारत लौटेगा। भले ही इसमें खतरा हो, लेकिन वो कहता है कि जब उसका दिल चाहेगा तभी वापस आएगा। अबरार के परिवार में माता- पिता, तीन भाई समेत उसकी पत्नी और बच्चे हैं। पिता की चश्मे की दुकान है। दो भाई नग का कारोबार करते हैं और एक ऑनलाइन सामान बेचता है। मां ने बेटे से कहा- जब तक चाहे ईरान में रहो
उसकी मां से आखिरी बात 20 जून की शाम को फोन पर हुई थी। अबरार ने बताया, जंग तेजी से जारी है, लेकिन वहां के मौलाना उसे हिम्मत देते हैं। वो बिल्कुल ठीक है और डटा हुआ है। तब मां ने उसे कहा, ‘अबरार मैं तुम्हारी मां हूं, तुम मुझसे पैदा हुए हो। अगर तुम इतनी हिम्मत कर रहे हो तो मैं भी हिम्मत रखूंगी। जब तक चाहो ईरान में रहो। जब मर्जी हो, वापस आ जाना। अभी मेरे बेटे की पढ़ाई को एक साल और बचा है। भारत सरकार से अपील- ईरान का आप भी साथ दो
अबरार की मां भारत सरकार और प्रधानमंत्री मोदी से कहती हैं कि मोदी इस झगड़े-लफड़े के बीच में पड़कर इसको सुधारें, गलत चीज को मना करें। ईरान हक का साथ दे रहा, आप भी उसका साथ दो। अगर सब ईरान की तरफ हो जाएं तो, इजराइल चुपचाप बैठ जाएगा। इजराइल फिलिस्तीन, गाजा पर जुल्म कर रहा है। उन्हें जला रहा है, मिटा रहा है। सबकी जमीन हड़प रहा है। ईरान ने आवाज उठाई, तो कोई उसका साथ नहीं दे रहा। ईरान खुद अकेले कामयाब होगा। इस खबर पर अपनी राय दीजिए... भाई ने कहा- शहादत से नहीं डरता अबरार
अबरार के चचेरे भाई मोहम्मद अली ने अबरार को मोहर्रम के लिए वापस लौटने को कहा। मां- पापा और सभी रिश्तेदार उससे मिलना चाहते हैं, लेकिन उसने सख्त मना कर दिया। कहा कि अब मुश्किल वक्त में ईरान को उसकी जरूरत है, ऐसे में वो वापस कैसे आ सकता है। भाई कहता है कि उसे शहादत से डर नहीं लगता। वो बचपन से बहुत शांत मिजाज का रहा है। हमेशा से वो मौलाना बनकर मोहल्ले की कमियों को दूर करना चाहता था। मैं उससे कहना चाहता हूं कि वो सबके साथ रहे और ईरान की जीत हो। शिया बहुसंख्यक ईरान में युवा लेते हैं आध्यात्मिक शिक्षा
इस कहानी का एक और अहम पहलू यह है कि अबरार एक शिया मुसलमान है। ईरान, जहां शिया मुसलमानों की आबादी लगभग 90% है, लंबे समय से दुनिया भर के शिया समुदायों के लिए एक धार्मिक और वैचारिक केंद्र रहा है। यही कारण है कि विभिन्न देशों के शिया युवा वहां आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं। अब जानिए गुलअफशां के परिवार का हाल एक बाप की हैसियत से मेरी हालत और तबीयत बहुत खराब है। ना कुछ खाया जाता है, ना कुछ पीया जाता है। मेरी बीवी ना जाने कैसे गुजारा कर रही है। ये कहना है भोपाल में रहने वाले मिगदाद नुसवी (60) का। उनकी 29 वर्षीय बेटी गुलअफशां ईरान में फंसी है। पिछले 4 दिनों से उसकी कोई खबर भी नहीं। दैनिक भास्कर की टीम उसके परिवार से मिलने उसके घर भोपाल पहुंची। पिता टीवी पर इजराइल-ईरान युद्ध की खबर देख रहे थे। हमारे पहुंचते ही अपनी बेटी का जिक्र कर भावुक हो गए और रोने लगे। उन्होंने कहा कि मेरी बेटी सात साल पहले पढ़ाई करने ईरान गई। वहां मसद के एक मदरसे में रहती है। अभी इस्लाम में डॉक्ट्रेट कर रही है, और बच्चों को पढ़ाती भी है। मैंने उसे वापस आने को कहा, क्योंकि वहां के हालात अच्छे नहीं हैं। चार दिन पहले हुई थी बेटी से आखिरी बातचीत
पिता न बेटी से आखिरी बार बात चार दिन पहले हुई थी। उसने बताया कि मसद एयरपोर्ट की तरफ धमाका जरूर हुआ है, लेकिन मैं यहां ठीक हूं। उसके बाद बेटी से बात नहीं हुई। दो दिन पहले बेटी ने एक सहेली से खबर भिजवाई थी। वो लड़की ईरान से कश्मीर लौट आई थी। उसने हमसे फोन पर बात की और बताया कि वो गुलअफशां के साथ ईरान में पढ़ती थी। मेरी बेटी ने उसे खैरियत की खबर देने को कहा था। उसने कहा था कि वहां कोई दिक्कत होगी तो वो लौटकर आएगी, मैं उसके लिए परेशान ना रहूं। बेटी वापस आ जाओ, हालात वहां ठहरने लायक नहीं
गुलअफशां की मां शाहीन बानो का कहना है कि यकीन है कि बेटी लौटकर आएगी। वो यहां से कॉल लगाती हैं, लेकिन कोई फोन नहीं उठाता। पहले रोजाना 4-5 बार बात होती थी। वो कहती थी, अगर इस बार पास हो गई तो घर वापस आएगी, वर्ना नहीं आएगी। परिवार वालों को खबरों से पता चला कि वहा ईरान में इंटरनेट बंद हो गया है। मां ने भास्कर के जरिए बेटी के लिए मैसेज दिया है- बेटा खैरियत से आ जा। तेरे भाई और बाप परेशान हैं। रोते हैं कि मेरी बच्ची वापस आ जाती। वहां के हालात अब ठहरने लायक नहीं हैं। पिछले साल भारत आई थी गुलअफशां, बहन से मिली
पिछले साल गुलअफशां परिवार से मिलने मुंबई में अपनी बहन के यहा आई थी। वहां दो माह रही और फिर दोबारा पढ़ाई के लिए ईरान लौट गई। उसने कहा था, हो सकता है मैं दाखिला नहीं लूंगी। अगर ऐसा हुआ तो मैं वापस लौट आऊंगी, लेकिन फिर वापस नहीं आई। दिल्ली के ईरान कल्चर हाउस की 15 दिनों की ट्रेनिंग के बाद स्कॉलरशिप परीक्षा पास करके पहली बार ईरान गई थी। तब से ईरान में रहती है। 2 साल में एक बार 3 महीने के लिए आने की इजाजत मिलती थी। ऑपरेशन सिंधु के तहत अब तक 827 भारतीय नागरिक सुरक्षित वापस आ चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आया कि मध्यप्रदेश के कितने लोग अभी ईरान में फंसे हैं। हालांकि भारत सरकार सभी भारतीयों को वतन वापस लाने में लगातार जुटी हुई है।